SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अंधेरा था। बाहर से ही आवाज़ लगाई। बाबूजी "शाम ढल गई, अंधेरा छा गया, अभी तक दीया नहीं जलाया।"बंगाली बाबू बोले बेटी कार्य की व्यस्तता बहुत थी इसलिए दीया जलाना भूल गया। जवाब तो बेटी को दे दिया लेकिन बेटी के वाक्य ने (शाम ढल गई, अंधेरा छा गया, अभी तक दीया नहीं जलाया) बंगाली बाबू के जीवन को झंखझोर दिया। चिन्तन चल पड़ा-जीवन की संध्या ढलने लगी है, मैंने अपने जीवन के अन्धकार को दूर करने के लिए साधना का दीप प्रज्वलित नहीं किया। उसी समय जागृत बन गये। बेटी की सारी व्यवस्था कर दी। बचे पैंसो से शांति निकेतन नामक आश्रम बनवा दिया। और निकल पड़े ! बेटी के एक वाक्य ने बाबूजी का जीवन उज्जवल बना दिया ! शरीर की बीमारियों के सारे Point लगाना सीख गये। जगह-जगह पर एक्युप्रेशर के केन्द्र खोले जाते है / जहां शारीरिक सभी बीमारियों का Point दबा कर उपचार किया जाता है। लेकिन आत्मा का Point आज दिन तक लगाना नहीं सीखा। जिस पर अनादि से अष्ट कर्म रूपी बिमारियों का आवरण छाया हुआ है। जिसके कारण आत्मा बौझिल हुई नीचे पड़ी हुई है। उस पर ज्ञान, दर्शन, चारित्र रूपी Point नहीं लगेगे तब तक वह प्रगट में नहीं आयेगी। शालीभद्र ने एक नाथ' शब्द सुना / जीवन परिवर्तित हो गया। मगध देश की राजधानी राजगृही नगरी का स्वामी श्रेणिक था। एक समय दो व्यापारी रत्नकम्बल लेकर नेपाल से आये / राजगृही नगरी की प्रशंसा चारों तरफ़ से खूब सुनी हुई थी। इसलिए बहुत खुश थे कि-इस नगरी में रत्नकम्बल शीघ्र ही बिक जायेंगे। पहुंच गये श्रेणिक के दरबार में / राजा श्रेणिक और रानी चेलना आपस में वार्तालाप कर रहे थे / व्यापारियों को आया देख पूछा कहो क्या लाये हो। उन्होने कहां नेपाल से रत्नकम्बल लाये है। रानी चेलना ने कहा दिखाओ। व्यापारियों ने जैसे ही रत्नकम्बल निकाले प्रकाश-प्रकाश हो गया / इतने सुन्दर और बढ़िया चमक वाले रत्न कम्बल देख रानी चेलना की Jain Education Internation Private & Personal Usevamly.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy