________________ ((३.एक वाक्य से जीवन उज्जवल) जीवन में धर्म की जागृति होनी चाहिए। धर्म पर रुचि होगी तो जीवन में जागृति आयेगी। जागना हैं / जाग जायेगें तो गति से प्रगति होना निचित है। वाक्य ऐसा हो जिससे जीवन में परिवर्तन आ जाये / जीवन उज्जवल बन जाये, निर्मल बन जाये, पवित्र बन जाये / मलीनता दूर हटाने से अपने मन की अपवित्रता, गन्दगी सारी दूर हो जाती है। हम सभी जगह स्वच्छता चाहते है। कपड़ों की स्वच्छता, बंगले की स्वच्छता आदि सभी स्थानों पर स्वच्छता देखना चाहते हैं। घर गन्दा है, तो नौकर को डांट लगा कर खड़े पैर घर की सफाई करवाते हैं। वस्त्र गंदे है तो धोबी से धुलवाते हैं। यहां तक कि लेटीन, बाथरूम में भी स्वच्छता चाहिए। उसके लिए फिनाइल, Acid आदि का उपयोग करवाते है / प्रातः काल होते ही घर में पानी ढोलना चालू क्योंकि घर की सफ़ाई जो करनी है। दीपावली पर घर के सारे वर्तनों को निकालकर इमली तथा मिट्टी से घिस-घिसकर साफ़ करवाते है कहीं कोई वर्तन गंदा न रह जायें। अनादि अनन्त समय पर पदार्थों की सफ़ाई में व्ययतीत कर दिया। आज दिन तक मन की स्वच्छता की तरफ़ ध्यान नहीं दिया। जिसके अन्दर अनादि से काम, क्रोध, लोभ, माया तथा-वासनाओं का कचरा भरा पड़ा है। उसकी सफ़ाई के लिए आज दिन ऐसा कोई साबुन नहीं लाये, फिनाइल नहीं लाये जिससे मन की सफ़ाई हो सकें। मन की सफ़ाई के लिए वीतराग प्रभु की वाणी, स्वाध्याय, पूजा और भक्ति ही काम आयेगी। जागों, जागों, जग जाओं, जगाने के लिए महापुरुषों ने हर समय चेतावनी दी है। कहा भी है। “जो जागत है सो पावत है। जो सोवत है वो खोवत है।"जीवन और मृत्यु कैसे ? जागृति-जीवन, मूर्छा-मृत्यु / मूर्छा हर स्थान से बधी हुई है। जहां मुर्छा है वहां मृत्यु निश्चित / जड़ पदार्थो के Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org