________________ 113 लिए न जाने कितने बेजुबान मासूम जानवरों को मार डालता है। फिर कहता है कि मोक्ष चाहिए, क्या सम्भव है ? नहीं कभी नहीं। अगर यह सम्भव होता तो न जाने कितने लोगों ने मोक्ष प्राप्त कर लिया होता। यहां तक कि भगवान महावीर स्वामी को भी अनगिनत तपस्याओं के बाद मोक्ष की प्राप्ति हुई / प्रायश्चित्त के इस सन्दर्भ में हम दृढ़प्रहारी का दृष्टांत ले सकते थे। दृढ़प्रहारी एक प्रख्यात डाकू था। महाक्रूर स्वभाव वाला था। प्रतिदिन डाका डालना तथा हत्याएं करना उसका मुख्य ध्येय था। एक दिन वह एक ब्राह्मण के घर डाका डालने गया ।घर में प्रवेश करते ही उसकी दृष्टि ब्राह्मण पर पड़ी। ब्राह्मण उस समय जाग रहा था। उसके मन में विचार आया कि ब्राह्मण जाग रहा है, उसने मुझे देख लिया है,तो सर्वप्रथम इसकी ही हत्या करनी चाहिए ।इसलिए उसने पहले ब्राह्मण पर बार किया। बार होने के साथ ब्राह्मण के प्राण पखेरू उड़ गये। इतने में उसकी पत्नी की नींद खुल गई। पत्नि बीच में बोलने लगी तो उसकी भी हत्या कर दी। शोरगुल सुनकर बच्चों की भी नींद खुल गई वातावरण देखकर बच्चे रोने लगे। डाकू ने उन मासूम बच्चों की हत्या कर दी। उसके मन में जरा भी दया नहीं, करूणा नहीं थी। उसका तो धन्धा ही यही था हत्या करना और धन प्राप्त करना / अब चार प्राणियों की तो हत्या उसने कर दी फिर भी मन में दया नहीं। एक तरफ़ उस ब्राह्मण की गाय खड़ी थी। बहुत समय से रहते-रहते वह भी ब्राह्मण परिवार की सदस्य बन गयी थी। गाय ने भी यह सारा वातावरण देखा तो उसको भी बहुत दुःख हुआ,उसने भी सींग फड़फड़ाना प्रारम्भ किया। इतने में ही दृढ़प्रहारी की दृष्टि उस गाय पर पड़ी। एक झटके के साथ उसका भी काम खत्म कर दिया। गाय उस समय गर्भवती थी, पेट पर वार होने से बच्चा बाहर जमीन पर आकर पड़ा, काफ़ी समय तक वह बच्चा जमीन पर पड़ा तड़फड़ाता रहा। दृढ़प्रहारी की नज़र उस तड़फते हुए मासूम बच्चे पर पड़ी। देखते ही उसका विवेक जागृत हो गया / देखते-देखते वह खड़ा कि खड़ा रह गया। पुनः पुनः प्रायश्चित्त करने लगा कि बेचारा कितना Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org