________________ 111 का भलीभांति पालन करता है तो उसके फल की तो कोई सीमा ही नहीं हैं। मनुष्य जन्म मुश्किल से प्राप्त होता है। अगर इसको यो ही खेल-कूद में सांसारिक क्रिया क्लापों में परिवार के पालन-पोषण में गवां दिया तो न जाने कौन-कौन सी योनियों में भटकना पड़ेगा। अगर इन योनियों से छुटकारा प्राप्त करना है संसार से मुक्त होना है तो चारित्र अंगीकार कर त्याग और तपस्या में अपने जीवन का सदुपयोग करें। *** Jain Education Internationerivate & Personal Usenany jainelibrary.org Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org