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________________ ((13. Life is Drama जिन्दगी एक नाटक हैं।)) विश्व के विशाल रंगमंच पर मानव अवतरित हुआ है। प्रश्न सर्व प्रथम यही उठता है कि किस कारण, किस उद्देश्य को लेकर मानव को संसार रूपी मंच पर आना पड़ा ? ज्ञानियों ने, महापुरुषों ने, संत महात्माओं ने इसका एक ही कारण बतलाया है -“कर्म"। कर्मो के कारण ही मानव को संसार रूपी मंच पर नये-नये पार्ट अदा करने के लिए आना पड़ता हैं। रंगमंच दो प्रकार का होता हैं। एक मंच तो वह जिस पर नाटक, सिनेमा, अभिनेता और अभिनेत्री करते हैं। मंच पर अभिनय करते समय कभी अभिनेता तथा अभिनेत्री रोते है और प्रेक्षकों को भी रूला देता हैं तो कभी प्रेक्षकों को पेट पकड़ कर हंसा भी देते हैं। कभी मंच पर लग्न करते हैं तो कभी मर भी जाते हैं। क्या यह हृदय से लग्न करते हैं। नहीं। यह तो सिर्फ़ लग्न का तथा मरण का अभिनय होता है। इसका प्रभाव अभिनेता तथा अभिनेत्री पर कुछ भी नहीं पड़ता। लेकिन प्रेक्षक लोगों को यह देख कर आघात पहुंत जाता है। कभी कभी तो देख कर हार्ट फेल भी हो जाता है। क्योंकि वह इसको वास्तविक मान बैठते है। जैसे एक बुढ़िया थी। कभी पिक्चर देखा नहीं / एक दिन उसके पोते पीछे पड़ गये कि दादी मां सिनेमा देखने चलो। आज तो हम आपकों साथ में ही लेकर चलेगें। पोतो की जिद्द के आगे दादीमां की कुछ नहीं चली वह सिनेमा देखने जाने के लिए तैयार हो गई। पिक्चर हॉल में पहुंच गई कभी पिक्चर देखा नहीं। पिक्चर देखते देखके सिनेमा के अन्दर ही वर्षा चालू हो गई। दादी मां ने वर्षा की झड़ी को देखते ही दौड़ना प्रारम्भ कर दिया मन में चिन्तन चल पड़ा। घर में छत पर धूप में पापड़, बड़ी, मसाले आदि सुखाये हुए है वह सब भीग जायेगें। दौड़ती हुई रोड़ क्रोस कर रही है सामने से ट्रक आया देखा नहीं ट्रक से टक्कर लगी गिर पड़ी वहीं पर प्राण पंखेर उड़ गए। सिनेमा की Jain Education InternationErivate & Personal Usevownly.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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