________________ 103 Life is only journey from credle to crematorium. : जीवन की यात्रा घर से कब्र तक या अस्पताल से स्मशान तक है। न साथी है न मंजिल का पता है, जिन्दगी बस रास्ता ही रास्ता है। वास्तव में आदमी मुसाफ़िर है। ___मंजिल पर पहुंचना है तो अपनी आत्मा को हल्का, निर्मल एवं स्वच्छ बनाना होगा, तभी हमारी आत्मा मुक्ति पद तो प्राप्त कर सकती है। जिस प्रकार एक गैस का गुब्बारा होता है वह हाथ से छूटने पर ऊपर उड़ जाता है। और एक पानी का गुब्बारा होता है वह हाथ से छूटने पर नीचे की तरफ़ जाता है। हमारी आत्मा भी पानी के गुब्बारे के समान आठ कर्मो, कामना, वासनाओं के भार से नीचे पड़ी हुई है। जब तक हम उसमें गैस के गुब्बारे के समान ज्ञान, दर्शन, चारिज्ञ आदि धर्म रूपी सरिता का प्रवेश नहीं कराएगें तब तक वह ऊपर उठ नहीं सकती है। ऊपर उठानी है मंजिल प्राप्त करनी है, तो ज्ञान रूपी, भक्ति रूपी, प्रेम रूपी, धर्म रूपी सरिता को प्रवेश कराना होगा तभी हम अन्तिम Station (मोक्षपुरी) को प्राप्त कर सकते हैं। *** Jain Education Internationerivate & Personal Usevanky jainelibrary.org Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org