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________________ 100 चलता है कि व्यापार करने में, पैसे गिनने में, ब्लेकमेल करने में, पिक्चर देखने में, आयात-निर्यात करने में, आराम करने में, जुआ खेलने में आदि और भी अनेक ऐसे कार्य है जिनको करने में हमें नींद नहीं आती, भूख नहीं लगती, सिर नहीं दु:खता आलस नहीं आता यहां तक कि रात को नींद भी नहीं आती है। रात को नींद की गोलियां लेनी पड़ती है। आंखों के सामने फिल्म की तरह यह सब कार्य घूमते रहते है। मानव इन सबको प्राप्त करने में अपने आपको सुखी मानता है। आज जो लाख पति है वह करोड़ पति होने की इच्छा रखता है और जो करोड़ पति है वह अरबपति बनना चाहता है। मानव की यह लालसा मिटती ही नहीं है। धर्म के क्षेत्र में एक सामायिक कर ली तो बस दूसरी की इच्छा जागृत ही नहीं होती, फिर कहां से सुख-शांति प्राप्त होगी। बाहरी सुख कितना ही क्यों नहीं प्राप्त कर लो जब तक आत्मिक सुख प्राप्त नहीं किया तब तक सब कुछ बेकार है। आत्मिक सुख प्राप्त किये बिना हम अपनी मंजिल पर पहुंच नहीं सकते है। आज हम अपने परिवार के आराम के लिए इतनी मेहनत करते हैं। रात-दिन एक करके पैसा एकत्रित करते है। अपना जीवन संकट में डाल कर भी परिवार को सुखी करना चाहते है लेकिन कुछ समय पश्चात् क्या होता है, अपना खुद का लड़का भी साथ नहीं देता है। शादी हो जाने के पश्चात् अपनी बीबी को लेकर अलग हो जाता है। विचारे मां-बाप जिन्होंने पहले दुःख का सामना किया था कि हमारे बच्चे बड़े होकर हमारी सेवा करेंगे। लेकिन रिजल्ट उल्टा निकलता है। अलग नहीं भी होते है तो सास ससुर (मां-बाप) को बहुत कष्ट में रखते हैं। खाना भी बराबर नहीं देते है। नौकर से भी ज्यादा बुरा व्यवहार उनके साथ किया जाता है / क्योंकि उनके हाथ पैर अब काम नहीं करते हैं, उनसे कुछ प्राप्त नहीं हो सकता है। नौकर से तो अच्छा व्यवहार करना पड़ता हैं, अगर नहीं रखेगें तो वह काम नहीं करेगा, ज्यादा कुछ कहेगें तो घर Jain Education Internationerivate & Personal Usevamly.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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