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________________ राज्य अयोध्या को छोड़कर निकट वनों में भ्रमण कर रहे थे तव उनके पास क्या साधन थे, कुछ भी नहीं। सिर्फ शारीरिक एवं आत्मिक शक्ति ही उनके पास थी। अपनी आत्म शक्ति के बल पर हनुमान जैसे वीर को अपना परम भक्त बना लिया / अपनी शक्ति के बल पर ही शक्तिशाली एवं महाबलवान शत्रु को पराजित करके किस्किंधा राज्य पर सुग्रीव को बैठाकर उसे भी अपना परम मित्र बना लिया। साधनहीन राम साधन सम्पन्न बन गये। अपने पिता के घर से एक कण मात्र भी साधन लेकर वे नहीं निकले थे किन्तु विकट वनों में रह कर भी स्व उपार्जित शक्ति के बल पर सब कुछ पा लिया। आततायी दैत्यों का दमन किया। यह सब उनकी जीवन शक्ति का ही चमत्कार था। ज्ञानियों ने कहां हैं मानव के पास तीन मुख्य शक्तियां होती है। (1) मन की शक्ति (2) बचन की शक्ति (3) काया की शक्ति / मनन से चिन्तन से मन की शक्ति बढ़ती हैं। मौन से वाणी की शक्ति बढ़ती हैं और श्रम से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। वाणी का भूषण मौन है, वाचालता नहीं / मौन रखना अपने आप में एक तप है। यह तप वहीं व्यक्ति कर सकता है जिसने वाक् संयम की कला को सीख लिया हैं। अपनी वाणी का जादू हज़ारों श्रोताओं पर करना आसान है परन्तु मौन रहकर अपने आचार का प्रभाव डालना बहुत कठिन हैं। वक्ता होना सरल है किन्तु मौन रह कर अपने आचार का प्रभाव जनमानस पर डालना बहुट कठिन हैं। मानव जैसा चाहें वैसा बन सकता है। अपने हृदय में जैसा विचार करता है वैसा बन जाता हैं। जिसके मन में राक्षसी भावना रहती है, वह राक्षस बन जाता है। दैवीय भावना रहती है तो देव बन जाता है। आज संसार कितना अशान्त एवं उद्भ्रान्त दृष्टिगोचर होता है। जिधर दृष्टि डालो उधर ही अशान्ति का दावानल धधकता दिखाई देता हैं / हर तरफ उद्विग्नता एवं खिन्नता हैं। लगता है मानव जाति पागलपन की दुस्थिति से गुजर रही हैं। इस विशाल विश्व में सर्वाधिक श्रेष्ठ कौन है ? इस प्रश्न पर चिन्तन Jain Education Internationerivate & Personal Usevamly.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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