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________________ २४० हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन अतिशयोक्ति अलंकारः ___ कवि ने कल्पना की कलम चलाकर रानी त्रिशला के ससुराल जाने पर संपूर्ण जड़-चेतन प्रकृति में करूण विलाप का अतिशयोक्ति अलंकार द्वारा आबेहूब चित्रण अंकित किया है - घर का पत्थर पत्थर रोया, रोयी क्यारी क्यारी। आशीर्वाद दिया वृक्षों ने, खुश रह बेटी प्यारी॥ *** सखियों के स्वर में: आंगन तजकर चली चांदनी। २ *** वीर बालक का रुप वर्णन - शिशु धीरे धीरे मुस्काया, बिजली खिल गई चाँदनी पर। चन्दा में ज्योत्सना सिमट गई, भर गये ज्योति से घर ॥३ ** * यशोदा का विरहः गंगा बनकर यमुना बनकर। अर्ध्य चढ़ाती है आँखे। वर्धमान आगे बढते हैं, दीप जलाती हैं आँखे॥४ वन में स्वागत: वन नागों में पगों में मणियाँ धरी उतार I air mix “वीरायण" : कवि मित्रजी, “तालकुमुदिनी” सर्ग-३, पृ.८६ वही, सर्ग-३, पृ.८५ । वही, “जन्म ज्योति", सर्ग-४, पृ.१०७ वही, “वनपथ' सर्ग-१०, पृ.२७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002766
Book TitleMahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyagunashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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