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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन अतिशयोक्ति अलंकारः
___ कवि ने कल्पना की कलम चलाकर रानी त्रिशला के ससुराल जाने पर संपूर्ण जड़-चेतन प्रकृति में करूण विलाप का अतिशयोक्ति अलंकार द्वारा आबेहूब चित्रण अंकित किया है -
घर का पत्थर पत्थर रोया, रोयी क्यारी क्यारी। आशीर्वाद दिया वृक्षों ने, खुश रह बेटी प्यारी॥
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सखियों के स्वर में:
आंगन तजकर चली चांदनी। २
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वीर बालक का रुप वर्णन -
शिशु धीरे धीरे मुस्काया, बिजली खिल गई चाँदनी पर। चन्दा में ज्योत्सना सिमट गई, भर गये ज्योति से घर ॥३
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यशोदा का विरहः
गंगा बनकर यमुना बनकर। अर्ध्य चढ़ाती है आँखे। वर्धमान आगे बढते हैं, दीप जलाती हैं आँखे॥४
वन में स्वागत:
वन नागों में पगों में मणियाँ धरी उतार
I air mix
“वीरायण" : कवि मित्रजी, “तालकुमुदिनी” सर्ग-३, पृ.८६ वही, सर्ग-३, पृ.८५ । वही, “जन्म ज्योति", सर्ग-४, पृ.१०७ वही, “वनपथ' सर्ग-१०, पृ.२७१
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