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बावला हाथी का चित्रण :
हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन
एक दिवस की बात कुंवर तरू तले शिला पर थे आसीन । नील गगन में नेत्र टिके थे, मानों ऋषि समाधि में लीन ॥ १
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२.
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४.
चीत्कार पुरजन का सुनकर वर्धमान उठ भागे
नन्दी चौके, अस्त-व्यस्त से ज्यों सपने से जागे । २
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भगवान महावीर की करुणा कविने उत्प्रेक्षा और अतिशयोक्ति अलंकार द्वारा चित्रित की है
आँखो से करुणा थी झरती
बरसाती नदियाँ को भरती
मरूधर में मान सरोवर-सी पल-पल में ठण्डक थी भरती
भगवान महावीर की रुप वर्णन छटा :
ज्योति थी मुख की दिव्य ललामचन्द्र पर धिर आये घनश्याम *
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श्याम पलकों में अंजन देख लगा खींची हो कारी रेख- ५
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'भगवान महावीर " : कवि शर्माजी, "जन्मधाम', सर्ग - २, पृ. १९ 'श्रमण भगवान महावीर” : कवि योधेयजी, “किशोर अवस्था", सोपान - १, पृ. ८५ वही, "महावीर का अभिग्रह", -सोपान - ७, पृ. २६०
"तीर्थंकर महावीर” : कवि गुप्तजी, सर्ग-४, पृ. १५६
वही
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