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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन तप के महान उपसर्ग सहन होगे क्योंकर- १
*** जब धहरायेगें नभमें वर्षा के बादल तम फैला रहा गहरा भूपर काला काजल
*** जिस समय भगवान दीक्षा के लिए वन की ओर प्रस्थान कर रहे हैं, उस समय माँ की ममता व विरहजन्य स्थिति का करुण चित्रण कवि अनूप शर्मा आदि कवियों ने प्रस्तुत किया है -
वह गिरी बिद्ध विहंगी-सी
आहत धरती पर सुत के वियोग में काँप उठी काया थर-थर ३
***
चल रही साथ माँ
मनमना दीना हीना थी अस्त-व्यस्त-सी तन की
सुधबुध कुछ भी ना
*** वह फूट-फूट रोती जाती
थी डकराती
“तीर्थंकर महावीर' : कवि गुप्तजी, तृतीय सर्ग, पृ.११२ वहीं, पृ.११४ वही, पृ.१०९ वहीं, पृ.१११
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