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॥ प्रथमो विमर्शः॥ घमीथी मणा पळ दरेक अंगनी घमीमांची न्यून के अधिक करवा. जेमके को तिथिए विष्टि श्ए धमीनी होय त्यारे नाना मुखनी पांच घमीमांथी दश पळ न्यून करवा, तेटलुं विष्टिनुं मुख समजवु. ए जरीते विष्टिनुं गळं वे घमीन तेथी वे घमीमांथी चार पळ न्यून करवा, तेटलुं विष्टिनुं गळं जाणवू. ए ज प्रमाणे विष्टिनुं हृदय दश घमीनू ने तेथी तेमांथी वीश पळ न्यून करवा, तथा नानि चार घमीनी माटे चार घमीमांथी आठ पळ न्यून करवा, तथा कटि घमीनी ने माटे तेमाथी बार पळ न्यून करवा, अने पुन्छ त्रए घमीन ने तेथी तेमांथी पळ न्यून करवा. या मान त्रीश घमीमांथी एक घमी न्यून एटले २ए घमीनी विष्टि होय त्यारे संमजवं, पण ज्यारे विष्टि त्रीश धमीमांथी बे घमी न्यून होय एटले के २७ घमीनी होय, त्यारे उपर कहेलु हानिनुं प्रमाण वमणुं करीने न्यून करवू. जेमके विष्टि एक घमी उगी हती त्यारे पांच घमीना प्रमाणवाळा मुखमांथी दश पळ न्यून कर्या हता, तेथी ज्यारे कि वे घमी ओगी त्यारे तेथी बमणा एटले वीश पळ न्यून करवा, अने ज्यारे कि... श्रीश धमीमांधी त्रण पमी न्यून होय एटले के सत्यावीश घमी होय त्यारे ते ज हानिनुं प्रमाण त्रण गणुं श्रोतुं करवू. जेम एक धमी न्यून हती त्यारे विष्टिना मुखमां दश पळ न्यून कर्या हता तेम त्रण घमी न्यून होवाथी त्रीश पळ न्यून करवा जोश्ए. एज प्रमाणे विष्टि त्रीश धमी उपर एक, बे के त्रण घमी विगेरेनी वृद्धि होय त्यारे पण ते ज प्रमाणे विष्टिना ते ते आंगनी घमीथी बमणा करेला पळो ते ते अंगनी घमीमां वधारवा. जेमके विष्टि एकत्रीश घमी होय तो तेना मुखनी पांच घमी ने, तेथी तेमां दश पळ वधारे समजवा विगेरे.
विप्टिन मुख एकांतपणे तजवा योग्य , माटे यात्रादिक समयमां ते विष्टि जे प्रकारे सन्मुख श्राय डे ते कहे .
नजेन्डा १४ टा जश्व तिथ्य १५ ब्धि४ दशे १० शा ११नि३मिते तिथौ। - दिग् यामाष्टकयोर्नेष्टा संमुखी पृष्ठतः शुना ॥ १४ ॥ . अर्थ--चतुर्दशीने दिवसे पहेले पहोरे विष्टि पूर्व दिशामां होय , अष्टमीना बीजा प्रहरे अग्नि खूणामां होय , सप्तमीना बीजे प्रहरे दक्षिणमां होय , पूर्णिमाना चोथा प्रहरे नैर्ऋत्य खूणामां होय बे, चतुर्थीना पांचमे प्रहरे पश्चिममां होय , दशमीने ठे प्रहरे वायव्यमां होय बे, एकादशीने सातमे प्रहरे उत्तर दिशामां होय जे अने तृतीयाना शावमा प्रहरे ईशान खूणामां होय . आ विष्टि प्रयाणादिक कार्यमा सन्मुख होय तो ते अशुन जाणवी, अने पारळ होय तो ते शुन जाणवी. या विष्टिनी दिशा विगेरे जोवानी बीजी रीत
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