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________________ १५६ ॥ आरंभ सिद्धि ॥ पण ते ब्राह्मण मरण पामे बे एम रलमाला जाण्यमां कह्युं छे. आवमा स्थाने रहेला ग्रहो विषे या प्रमाणे विशेष जाणवुं के आठमे स्थाने चंद्र रह्यो होय तो ते ब्राह्मएनी स्त्रीनं मरण थाय, मंगळ होय तो ब्राह्मणनुंज मरण थाय, रवि, गुरु के शनि होय तो ते ब्राह्मण असाध्य रोगथी पीमा पामे, अने बुध के शुक्र रह्या होय तो कां पण फळ थाय नहीं. लत तो लग्नमां रहेला ग्रह विषे या प्रमाणे कहे बे के "लग्नमां अथवा चंद्रनी साथे बुध के शनि रह्यो होय तो खोकाग्निनी साथे ते अग्निनो संग याय बे. अर्थात् अग्नि उत्पन्न याय बे." जितैरस्तमितेन च शत्रुक्षेत्र गतैरपि । सोमजौमसुराचार्यैराहिताग्निर्न नन्दति ॥ ५० ॥ अर्थ – सोम, मंगळ अने गुरु जो पराजय पाम्या होय, अस्त पाम्या होय, नीच स्थाने रह्या होय के शत्रुना घरमा रह्या होय तो अग्निनुं धान करनार सुखी थतो नथी. चन्द्रेऽर्के वा त्रिशत्रुस्थे लग्ने धनुषि वा गुरौ । मेषस्थे खा १० स्त १ गे वारे यज्वा स्यादात्तपावकः ॥ ५१ ॥ अर्थ - अग्निधाननी कुंकळीमां चंद्र के सूर्य त्रीजे के बछे स्थाने रह्यो होय, लग्नमां के धन राशिमां गुरु रह्यो होय, अने मंगळ मेष राशिमां के दशमा अथवा सातमा स्थानमा रह्यो होय तो अग्निनुं धान करनार ब्राह्मण याज्ञिक थाय बे. । इति विप्राद्यधिकारः । हवे नवां वस्त्र परवानुं मुहूर्त्त कहे बे. - नववाससः प्रधानं वासवपौष्णाश्विनादितिद्वितये । करपञ्चकध्रुवेषु च बुधगुरुशुक्रेषु परिधानम् ॥ ५२ ॥ अर्थ – बुध, गुरु ने शुक्रवारे धनिष्ठा, रेवती, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, तथा ध्रुव एटले रोहिणी, उत्तराषाढा, उत्तराफाल्गुनी अने उत्तराजाऽपद्, य नक्षत्रोमांसी कोइ पण नक्षत्र होय, ते दिवसे नवां वस्त्र पहेरवां शुन बे. कांबे के " नष्टप्राप्ति १ स्तदनुमरणं २ वह्निदादो ३ऽर्थसिद्धि ४ - श्वाखोति । मृतिरथ ६ धनप्राप्ति 9 रर्थागमश्च । Jain Education International शोको मृत्यु १० नरपतिजयं ११ संपदः १२ कर्मसिद्धि १३ - . विद्यावाप्तिः १४ सदशन १५ मथो वल्लत्वं जनानाम् १६ ॥ १ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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