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द्वितीय चरणः यहाँ राहु अत्यंत शुभ फल देता है। जातक शक्ति संपन्न, असाधारण रूप से ख्यात तथा समाज में समादृत होता है। .
तृतीय चरणः यहाँ राहु सर्वथा विपरीत फल देता है। इस चरण में राहु हो तो जातक अभावग्रस्त जीवन बिताता है। वह जल प्रदूषण से होने वाले रोगों का जल्दी शिकार हो सकता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ राहु हो तो जातक में काव्य प्रतिभा होती है। भले वह आधुनिक अर्थ में 'सुशिक्षित न हो तथापि अपने काव्य के कारण प्रसिद्ध भी होता है। ऐसे जातकों को यात्राओं के समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने का अंदेशा बना रहता है।
रोहिणी नक्षत्र स्थित केतु के फल
प्रथम चरण: यहाँ केतु हो तो जीवन परावलम्बी होता है।
द्वितीय चरण: यहाँ केतु हो तो बचपन में दृष्टि दोष की आशंका बनी रहती है।
तृतीय चरण: यहाँ केतु जातक को अध्यापन के पेशे से जोड़ता है। पत्नी खर्चीले स्वभाव की होती है।
चतुर्थ चरण: यहाँ केतु के अच्छे फल मिलते हैं। जातक वेदाभ्यासी, विद्वान, तार्किक एवं तंत्र-मंत्र विशारद होता है। ऐसे जातक आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी सफल होते हैं।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 87
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