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मंगल की दृष्टि जातक को क्रूर हृदय बनाती है। उसका जीवन भी अभावमय बीतता है।
बध की दृष्टि हो तो जातक का व्यक्तित्व आकर्षक एवं स्वभाव शांतिप्रिय होता है।
गुरु की दृष्टि हो तो जीवन सुखी, सुविधाओं से युक्त कहा गया है। शनि की दृष्टि स्वास्थ्य खराब रखती है। जीवन भी अभावमय बीतता है।
रोहिणी नक्षत्र स्थित शनि के फल ___ प्रथम चरणः यहाँ शनि हो तो जातक धार्मिक प्रवृत्ति का, सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है। तथापि उसमें जुआरीपन की प्रवृत्ति भी हो सकती है।
द्वितीय चरणः यहाँ शनि हो तो जातक को पशुपालन से लाभ होता है।
तृतीय चरणः यहाँ शनि को शुभ फल देने वाला कहा गया है। जातक अत्यंत बुद्धिमान तथा मृदुभाषी धार्मिक विषयों में शोध-कर्ता होता है।
चतुर्थ चरण: यहाँ शनि हो तो जातक सत्ता पक्ष के निकट होता है। वह स्वयं भी राजनीति में जाकर धनी एवं यशस्वी हो सकता है। पशु पालन से भी उसे लाभ होता है।
रोहिणी नक्षत्र स्थित शनि पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि दरिद्रता से भरे जीवन का संकेत करती है।
चंद्र की दृष्टि शुभ फल देती है। जातक धनी, बलिष्ठ तथा सत्ता पक्ष से सम्मान पाता है।
मंगल की दृष्टि जातक को सामान्य धनी तथा वाचाल बनाती है।
बुध की दृष्टि जातक की काम-पिपासा में घोर वृद्धि करती है। वह पशु की तरह व्यवहार कर सकता है।
गुरु की दृष्टि उसे परोपकारी, रोगियों की सेवा करने वाला बनाती है।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक रत्नों के व्यापार से लाभ उठा सकता है। वह सुरा-सुंदरी का भी शौकीन होता है।
रोहिणी नक्षत्र स्थित राहु के फल
प्रथम चरण: यहाँ राहु हो तो जातक छरहरे बदन का निर्भीक मानस वाला होता है। उसे वायु विकार होता है एवं अपच की आशंका बनी रहती है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 86
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