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रोहिणी नक्षत्र स्थित गुरु पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक के प्रतिरक्षा सेनाओं में जाने के संकेत मिलते हैं। ___ चंद्र की दृष्टि जातक को सत्यनिष्ठा से भरपूर, सहृदय और परोपकारी बनाती है। ___ मंगल की दृष्टि परिवार का पूर्ण सुख प्रदान करती है। अच्छी पत्नी, अच्छे बच्चे। उसे सत्ता पक्ष से भी लाभ मिलता है।
बुध की दृष्टि हो तो जातक का व्यक्तित्व आकर्षक तथा वह राजनीति में सफलता प्राप्त करता है।
शुक्र की दृष्टि जातक को धनी, सौभाग्यशाली और दरिद्रों की सहायता में प्रवृत्त करती है। ___ शनि की दृष्टि हो तो जातक धनी, यशस्वी होता है। राजयोग के भी फल मिलते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में शुक्र के फल
प्रथम चरणः यहाँ शुक्र हो तो जातक धनी, सभी सुविधाओं से पूर्ण जीवन बिताता है। तथापि पैंतीस वर्ष की अवस्था तक उसे पारिवारिक कलह से त्रस्त रहना पड़ता है। समय के साथ स्थितियों में सुधार आता है।
द्वितीय चरणः यहाँ शुक्र जातक की ललित कलाओं, विशेषकर संगीत में रुचि बढ़ाता है। उसमं लेखन एवं अभिनय के गुण भी होते हैं। जातक का पारिवारिक जीवन सुखी होता है।
तृतीय चरणः यहाँ शुक्र जातक की कामवासना में घोर वृद्धि करता है। फलतः उसे बाद में तरह-तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है। उसे गुप्त रोग भी हो सकते हैं।
चतुर्थ चरणः यहाँ शुक्र हो तो जातक की पत्नी बेहद सुंदर तथा उसके कारण उसकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है।
रोहिणी नक्षत्र स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि । . सूर्य की दृष्टि हो तो जातक को स्त्रियों से लाभ होता है तथापि वैवाहिक जीवन में अशांति ही भरी होती है। ___ चंद्र की दृष्टि हो तो जातक मृदुभाषी, परिवार में श्रेष्ठ तथापि कामवासना से पीड़ित रहता है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 85
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