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कृत्तिका
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कृत्तिका नक्षत्र राशि फल में 26.40 से 40.00 अंशों के मध्य स्थित है कृत्तिका के पर्यायवाची नाम हैं-हुताशन, अग्नि, बहुला । अरबी में इसे 'अथ थुरेया' कहते हैं । इस नक्षत्र में छह तारों की स्थिति मानी गयी है । देवता अग्नि एवं स्वामी गुरु सूर्य है । कृत्तिका प्रथम चरण मेष राशि (स्वामी : मंगल) एवं शेष तीन चरण वृष राशि (स्वामी : शुक्र) में आते हैं।
गणः राक्षस, योनिः मेष एवं नाड़ी: अंत है ।
चरणाक्षर हैं: अ, इ, उ, ए ।
कृत्तिका नक्षत्र में जन्मे जातक मध्यम कद, चौड़े कंधे तथा सुगठित मांसपेशियों वाले होते हैं। ऐसे जातक अत्यंत बुद्धिमान, अच्छे सलाहकार, आशावादी, कठिन परिश्रमी तथा एक तरह हठी भी होते हैं। वे वचन के पक्के तथा समाज की सेवा भी करना चाहते हैं । वे येन-केन-प्रकारेण अर्थ, यश नहीं प्राप्त करना चाहते, न तो अवैध मागों का अवलंबन करते हैं, न किसी की 'दया' पर आश्रित रहना चाहते हैं । उनमें अहं कुछ अधिक होता है, फलतः वे अपने किसी भी कार्य में कोई त्रुटि नहीं देख पाते। वे परिस्थितियों के अनुसार ढलना नहीं जानते । तथापि ऐसे जातक का सार्वजनिक जीवन यशस्वी होता है। लेकिन अत्यधिक ईमानदारी भरा व्यवहार उनके 'पतन' का कारण बन जाता है।
ऐसे जातकों को सत्तापक्ष से लाभ मिलता है। वे चिकित्सा या इंजीनियरिंग के अलावा ट्रेजरी विभाग में भी सफल हो सकते हैं, विशेषकर सूत निर्यात, औषध या अलंकरण वस्तुओं के व्यापार में । सामान्यतः जन्मभूमि से दूर ही उनका उत्कर्ष होता है ।
ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार 72
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