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________________ चतुर्थ चरणः यहाँ शुक्र जातक को प्रवासी और धार्मिक बनाता है । अक्सर वह मठ-मंदिर या गिरजाघर अथवा मस्जिद में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने में निष्णात होता है । भरणी स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि से शासन से लाभ मिलता है। उसे अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा का भी पुरस्कार मिलता है लेकिन ऐसे व्यक्ति को पत्नी के विश्वासघात का दुःख भी उठाना पड़ सकता है। चंद्रमा की दृष्टि उसे एक ओर समाज में उच्च पद दिलाती है, लेकिन परनारियों के प्रति अपनी कामासक्ति के कारण वह आलोचना का पात्र भी बनता है। मंगल की दृष्टि उसे हर सुख से वंचित एवं अवसादग्रस्त बनाती है । बुध की दृष्टि जीवन में तरह-तरह की बाधाएं उत्पन्न करती है । गुरु की दृष्टि का फल शुभ मिलता है। उसे जीवन में प्रत्येक सुख मिलता है । पत्नी एवं संतान के मामले में ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है। शनि की दृष्टि प्रायः अशुभ फल देती है लेकिन भरणी स्थित शुक्र पर शनि की दृष्टि जातक को शांतिप्रिय और उदार तथा औरों को सहायक बनाती है । पर ऐसा व्यक्ति गलत तरीकों से धनार्जन करता है I भरणी के विभिन्न चरणों में शनि भरणी के विभिन्न चरणों में स्थित शनि के लगभग शुभ फल मिलते हैं । प्रथम चरण ः यहाँ शनि जातक को धार्मिक ग्रंथों का अध्येता बनाता है। वह बुद्धिमान, मृदुभाषी और सबके आदर का पात्र होता है । द्वितीय चरण: यहाँ शनि व्यक्ति को बेहद बुद्धिमान बनाता है। उसका जीवन सुखी रहता है। तृतीय चरण: यहाँ शनि सामान्यतः परावलंबी बनाता है और उसे दो-दो पृथक अभिभावकों का संरक्षण मिलता है। चतुर्थ चरण: यहाँ शनि के फलस्वरूप व्यक्ति का 35 वर्ष की आयु तक का जीवन संघर्षपूर्ण होता है। ऐसा व्यक्ति पुलिस अथवा सेना में सफल होता है। भरणी स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि के फलस्वरूप व्यक्ति पशुपालन अथवा कृषि कार्य से अर्थ लाभ करता है । वह उदार भी होता है । ज्योतिष-कौमुदी : : (खंड- 1) नक्षत्र-विचार 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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