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________________ योग निष्प्रभावी हो जाए तो व्यक्ति दीर्घायु होता है। बुध की यह स्थिति जातक को सफल लेखक बनाती है । द्वितीय चरणः बुध जातक को मध्य आयु प्रदान करता है । वह औरो के प्रति उदार होता है, लेकिन उसकी पिता से नहीं बनती। ऐसा व्यक्ति एक साथ कई कार्य हाथ में लेता है, पर उसे उनका लाभ कम ही मिलता है। तृतीय चरणः बुध शुभ फल प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति विद्वान, उदार पत्नी के मामले में बेहद सौभाग्यशाली होता है। ठेकेदार और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। चतुर्थ चरणः यहाँ बुध जातक को सरकारी नौकर ही बनाता है। ऐसा व्यक्ति इंजीनियर भी बन सकता है। 45-50 वर्ष तक उसे जीवन का सुख मिलता है । उसे मिरगी अथवा पक्षघात होने की आशंका बनी रहती है। भरणी स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि नहीं पड़ती। चंद्र की दृष्टि उसे ललित कला निपुण स्त्री - सुख से लाभान्वित तथा धन-धान्य, वाहन भवनादि से युक्त बनाती है । मंगल की दृष्टि से वरिष्ठ अधिकारियों का कृपा पात्र बनाती है। उनके कारण उसे आर्थिक लाभ भी मिलता है । मंगल की दृष्टि स्वभाव से उसे झगड़ालू बना देती है । गुरु की दृष्टि उसके जीवन को सुखी बनाती है । पत्नी अच्छी मिलती है और इसी तरह संतान भी उसे सुख - संतोष प्रदान करती है। शनि की दृष्टि के कारण वह झगड़ालू, आलसी, अनैतिक और क्रूर स्वभाव वाला बन जाता है । भरणी के विभिन्न चरणों में गुरु भरणी स्थित गुरु प्रायः शुभ फल देता है । वह जातक को सुखी-संपन्न और सफल बनाता है। प्रथम चरणः यहाँ गुरु जातक को सत्य- प्रिय, ओजस्वी वक्ता, लोकप्रिय व पितृभक्त बनाता है। वह किसी कारखाने या वित्तीय संस्था - विभाग प्रमुख हो सकता है। एक से अधिक पत्नी होने का योग भी बताया गया है। द्वितीय चरणः यहाँ गुरु जातक को धार्मिक विचारों का बनाता है। उसे पुत्र-पौत्रादि का सुख भी मिलता है। वह अपराध - विशेषज्ञ भी बन सकता है। तृतीय चरण: यहाँ गुरु व्यक्ति को यात्रा - प्रिय, विलासी बनाता है। वह ज्योतिष - कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र-विचार 68 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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