________________
भरणी के विभिन्न चरणों में मंगल
भरणी के प्रथम तीन चरणों में स्थित मंगल शुभ फल नहीं देता । दुर्घटना भय और रोग उसे बना ही रहता है।
प्रथम चरणः ऐसे व्यक्ति की मध्य आयु बतायी गयी है । वह परदेश में अल्प बीमारी के कारण नश्वर शरीर त्याग सकता है। ऐसे व्यक्ति को स्वयं कोई वाहन न चलाने का परामर्श भी दिया गया है।
द्वितीय चरण: यहाँ मंगल की स्थिति जातक को बुद्धिमान, परिश्रमी लेकिन साथ ही क्षीणकाय, दुर्बल और चर्म रोगों का शिकार बनाती है । कामासक्ति के कारण उसे गंभीर रोग हो सकते हैं।
तृतीय चरण: यहाँ मंगल की स्थिति बेहद अशुभ मानी गयी है । बाल्यकाल से पचास वर्ष तक उसका जीवन अभाव ग्रस्त तथा घोर विपन्नता से बीतता है लेकिन उत्तरार्द्ध में वह सुखी-संमृद्ध होता है ।
चतुर्थ चरण: यहाँ मंगल जातक को यौन रोगों का सफल चिकित्सक बना सकता है। कहा गया है कि भरणी के चतुर्थ चरण में स्थित मंगल जातक को देश के उच्चतम पद पर आसीन भी करवा सकता है।
भरणी स्थित मंगल पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को धनी-मानी, विनम्र और बुद्धिमान बनाती है । चंद्रमा की दृष्टि स्त्रियों का शौकीन और क्रूर, हृदय हीन कर देती है । बुध की दृष्टि के कारण वह प्रदर्शन-प्रिय और परस्त्रीगामी बनता है ।
बुध की दृष्टि जातक को प्रदर्शन-प्रिय, परस्त्रियों में आसक्त और चौर्य • वृत्ति का भी बना सकती है।
गुरु की दृष्टि उसे गुस्सैल पर संपत्तिवान बनाती है। परिवार में सब उसकी बात मानते हैं ।
शुक्र की दृष्टि के कारण भी वह परस्त्रीगामी बनता है । तथापि वह अपने परिवार ही नहीं, समाज के प्रति अपने दायित्वों का भी निर्वाह करता है।
शनि की दृष्टि उसे दुर्बल बनाती है और परिवार से विछोह का भी कारण बनता है ।
भरणी के विभिन्न चरणों में बुध
भरणी में बुध की स्थिति आयु की दृष्टि से शुभ नहीं मानी गयी है । तीसरे चरण में दीर्घायु का फल मिलता है ।
प्रथम चरणः बुध की स्थिति बालारिष्ट योग बनाती है। अर्थात् जातक के बचपन में ही काल कवलित होने का भय बना रहता है तथापि यदि यह
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार 67
Jain Education International
For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org