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द्वितीय चरणः द्वितीय चरण में बुध हो तो जातक विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करता है। उसे अच्छा संतान सुख भी मिल जाता है
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लेकिन एक फल यह भी बताया गया है कि ऐसा जातक पैंतीस वर्ष की अवस्था के बाद संसार को त्याग संन्यासी भी बन सकता है।
तृतीय चरणः तृतीय चरण में स्थित बुध जातक को ईश्वरीय कृपा से लाभान्वित करता है। वह कर्त्तव्यनिष्ठ तथा सभी जिम्मेदारियां बखूबी निभाना जानता है। ऐसे जातकों को पुत्रों की संख्या अधिक बतायी गयी है। तृतीय चरण में बुध केवल स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता ।
चतुर्थ चरण: यहाँ बुध की स्थिति के अशुभ फल कहे गये हैं, यथा व्यवसाय में असफलता, अभावपूर्ण जीवन, चारित्रिक दोषों का आधिक्य ।
अश्विनी स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि के शुभ फल मिलते हैं । जातक सत्यनिष्ठ, परिवार एवं संबंधियों में प्रिय तथा शासन पक्ष से लाभान्वित होता है।
चंद्र की दृष्टि जातक को ललित कलाओं के क्षेत्र में ले जाती है । संगीत के प्रति उसकी रुचि होती है । अपनी कला से वह धनोपार्जन भी कर सकता है। वह हर तरह से सुखी होता है ।
मंगल की दृष्टि भी शुभ फल देती है, यद्यपि बुध मंगल को शत्रुता की दृष्टि से देखता है तथापि मंगल की दृष्टि के कारण वह सत्तासीन लोगों का कृपाभाजन बनकर लाभ उठा सकता है।
गुरु की दृष्टि के भी शुभ फल मिलते हैं । जातक को धन-सुख के अलावा परिवार का भी पूर्ण सुख मिलता है।
शुक्र की दृष्टि के फलस्वरूप उसे मान-सम्मान, यश, अर्थ सभी कुछ प्राप्त हो सकता है। अपने आचरण से वह सभी का प्रिय बनता है ।
शनि की दृष्टि के दो फल मिलते हैं। यद्यपि जातक समाजोपयोगी कार्य करता है, तथापि परिवार के सदस्यों से विवाद, कलह बना रहता है।
अश्विनी स्थित गुरु के फल
अश्विनी नक्षत्र में स्थित गुरु जातक के लिए अत्यंत शुभ होता है। वह नक्षत्र के किसी भी चरण में स्थित हो, शुभ फल ही देगा। गुरु एक सात्विक, शुभ ग्रह है। परंपरा से गुरु को देवता का गुरु माना गया है, विवेक प्रदान करने वाला। अश्विनी नक्षत्र में गुरु अपने कारकत्व के अनुसार शुभ फल देने वाला कहा गया है।
ज्योतिष- कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र विचार 58
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