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चरण में मंगल की स्थिति शुभ मानी गयी है। जातक को यायावरी वाली नौकरी या व्यवसाय फलप्रद होता है। ऐसे व्यक्तियों में कामभावना का भी अतिरेक बताया गया है।
चतुर्थ चरण ः यदि जातक/जातिका का जन्म 12 से 13 अंशों के मध्य हो तो वे निस्संदेह एक सफल - कुशल इंजीनियर बन सकते हैं। उन्हें अच्छी संतान का सुख प्राप्त होता है।
अश्विनी स्थित मंगल पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक विद्वान, बुद्धिमान, मातृ-पितृ भक्त तथा धन-संपदा, पारिवारिक सुख से युक्त होता है।
चंद्र की दृष्टि वासना में वृद्धि करने वाली मानी गयी है। जातक परायी स्त्रियों में कुछ ज्यादा ही रुचि लेने लगता है ।
बुध की दृष्टि भी काम भावना का अतिरेक करने वाली होती है । यदि अन्य ग्रहों की शुभ दृष्टि न हो तो जातक प्रदर्शन प्रिय होने के साथ-साथ वेश्यागामी भी हो सकता है।
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गुरु की दृष्टि के शुभ फल होते हैं । जातक का समाज में, परिवार में मान-सम्मान होता है, वह धन के साथ-साथ सत्ता शक्ति का भी उपभोग करने वाला हो सकता है।
शुक्र की दृष्टि उसकी विलासप्रियता बढ़ाती है। परस्त्रियों में आसक्ति उसके लिए संकट उत्पन्न करती है । तथापि वह जातक को समाजसेवी भी बनाती है ।
शनि की दृष्टि न हो तो जातक पारिवारिक सुख यहाँ तक कि मातृ-स्नेह से भी वंचित रहता है ।
अश्विनी के विभिन्न चरणों में बुध
अश्विनी के दो चरणों में बुध के शुभ फल मिलते हैं तथा दो में अशुभ द्वितीय एवं तृतीय चरण में बुध की स्थिति लाभदायक होती है, जबकि प्रथम एवं चतुर्थ चरण में बुध हो तो जातक का जीवन दुखी ही बीतता है ।
प्रथम चरण ः यहाँ बुध जातक को नास्तिक बनाता है। ईश्वर पर से अनास्था उसकी छुद्र वृत्तियों को भी मुक्त कर देती है। वह सुरा- सुंदरी का शौकीन तथा अपने स्वार्थ के लिए दूसरों से विश्वासघात भी कर सकता है। आम तौर पर समाज में वह निम्न नजरों से देखा जाता है ।
ज्योतिष- कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र विचार 57
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