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________________ बुध की दृष्टि शुभ फल देती है। जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है । जीवन भी सुख-सुविधा से पूर्ण होता है तथापि चालीस वर्ष की आयु के बाद अर्थाभाव की स्थिति बन सकती है। गुरु शुभ ग्रह है। सूर्य पर उसकी दृष्टि भी शुभ प्रभाव डालती है। जातक उदार हृदय, सत्ता से जुड़ा होता है । शुक्र की दृष्टि जातक में काम भावना को कुछ ज्यादा ही बढ़ाती है । वह काम वासना की पूर्ति के लिए जोड़-तोड़ में लगा रहता है। शनि की दृष्टि का फल अशुभ बताया गया है। सूर्य एवं शनि पिता- पुत्र होते हुए भी एक दूसरे के घोर शत्रु माने गये हैं। शनि की दृष्टि जातक को दरिद्रता की ओर ढकेलती है। अश्विनी के विभिन्न चरणों में चंद्र अश्विनी स्थित चंद्र के शुभ फल प्राप्त होते हैं। अश्विनी में चंद्र का अर्थ हैं, इसी नक्षत्र में उसका जन्म। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक / जातिकाओं की चारित्रिक विशेषताओं के संबंध में हम प्रारंभ में ही पढ़ चुके हैं । यहाँ अश्विनी के विभिन्न चरणों में चंद्र की स्थिति के फल: प्रथम चरणः यदि चंद्रमा अश्विनी के प्रथम चरण में हो तो जातक का व्यक्तित्व शानदार होता है। वह विद्वानों, विशेषज्ञों की संगति पैदा करता है। उनसे ही विचारों के आदान-प्रदान में उसे आनंद आता है। ऐसा जातक चाहे निजी संस्थान में हो अथवा सरकारी सेवा में, उच्च पद पर आसीन होने की क्षमता रखता है । तथापि उसकी कार्यशैली से अधीनस्थ कर्मचारियों में थोड़ा-बहुत असंतोष व्याप्त रहता है। कहा गया है कि लग्नस्थ अश्विनी में चंद्र की गुरु के साथ युति हो तो जातक 83 वर्ष तक तो जीवित रहता ही है। द्वितीय चरणः यहाँ स्थित चंद्रमा जातक को विलासिता की ओर ले जाता है। खान-पान का आनंद ही उसे प्रिय लगता है। ऐसा जातक व्यवहार - चतुर भी होता है। तृतीय चरणः यहाँ चंद्र की स्थिति हो तो जातक अत्यंत बुद्धिमानी, सोत्साही और सक्रिय होता है। विज्ञान के अतिरिक्त धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में भी उसकी पर्याप्त रुचि होती है। ऐसा जातक अपने मित्रों के आडे वक्त में भी काम आता है। चतुर्थ चरण: अश्विनी के अंतिम चरण में चंद्र स्थित हो तो जातक अपने ही प्रयत्नों से उच्च शिक्षण के अलावा विज्ञान की विभिन्न शाखाओं ज्योतिष - कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र विचार 55 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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