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________________ यद्यपि ऐसे जातक प्रत्यक्ष में बेहद शांत और संयत दिखायी देते हैं तथापि अपने निर्णय से कभी वे टस से मस नहीं होते। इसका कारण यह है कि वे कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं करते। वे उसके हर अच्छे-बुरे पहलू पर विचार करने के बाद ही निर्णय करते हैं। इसीलिए एक बार निर्णय करने पर वे उससे पीछे नहीं हटते। अपने निर्णयों में वे किसी से प्रभावित भी नहीं होते। फलतः उन्हें हठी भी मान लिया जाता है। ऐसे जातकों के बारे में कहा गया है कि यमराज भी उन्हें अपने निर्णय से नहीं डिगा सकते। लेकिन वे व्यवहार-कुशल भी होते हैं तथा अपना इच्छित कार्य इस खूबी से करते हैं कि न तो किसी को पता चलता है, न महसूस होता है। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक ‘यारों के यार' अर्थात् श्रेष्ठ मित्र सिद्ध होते हैं। उनकी मानसिकता समझने में समर्थ लोगों के लिए वे सर्वोत्तम मित्र ही सिद्ध होते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक जिन्हें चाहते हैं, उनके लिए वे सर्वस्व होम देने के लिए भी तत्पर रहते हैं। यही नहीं, वे किसी को पीड़ित देखकर उसे सांत्वना बंधाने में भी आगे होते हैं। ऐसे जातकों के चरित्र की एक विशेषता यह होती है कि यद्यपि वे घोर से घोर संकट के समय भी अपार धैर्य का परिचय देते हैं तथापि यदि किसी कारणवश उन्हें क्रोध आ जाए तो फिर उन्हें संभालना मुश्किल होता है। इसी तरह एक ओर वे अतिशय बुद्धिमान होते हैं तो दूसरी ओर कभी-कभी 'तिल' का भी 'ताड़ बना देते हैं, अर्थात् छोटी-छोटी बातों को तूल देने लगते हैं। फलतः उनका मन भी अशांत हो उठता है। वे ईश्वर पर आस्था रखते हैं लेकिन धार्मिक पाखंड को रंचमात्र भी नहीं पसंद करते। परंपराप्रिय होते हुए भी उन्हें आधुनिकता से कोई बैर नहीं होता। वे स्वच्छताप्रिय भी होते हैं तथा अपने आसपास हर वस्तु को करीने से रखना उनकी आदत होती है। शिक्षा एवं आयः अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातकों को 'हरफन मौला' कहा जा सकता है अर्थात् सभी बातों में उनकी कुछ न कुछ पैठ होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें पर्याप्त सफलता मिलती है। वे चिकित्सा, सुरक्षा एवं इंजीनियरिंग क्षेत्रों में जा सकते हैं। साहित्य एवं संगीत के प्रति उन्हें खासा गाव होता है। उनकी आय के साधन भी पर्याप्त होते हैं पर प्रदर्शन-प्रियता पर व्यय के कारण वे अभाव भी अनुभव करते हैं। कहा गया है कि अश्विनी नक्षत्र में जातकों को तीस वर्ष की अवस्था ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 51 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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