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________________ आर्द्रा राहु, प्रथमःगुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु पुनर्वसु गुरु, प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र पुष्य शनि, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल । आश्लेषा बुध, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु मघा केतु, प्रथम: मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र पूर्वा फाल्गुनी शुक्र, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल उत्तरा फाल्गुनी सूर्य, प्रथम: गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु हस्त चंद्र, प्रथम: मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र . चित्रा मंगल, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थ: मंगल स्वाति राहु, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु विशाखा गुरु, प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र अनुराधा शनि, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल ज्येष्ठा बुध, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु मूल केतु, प्रथम: मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र पूर्वाषाढ़ा शुक्र, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल उत्तराषाढ़ा सूर्य, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु श्रवण चंद्र, प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र धनिष्ठा मंगल, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल शतभिषा राहु, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु पूर्वा भाद्रापद गुरु, प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र उत्तरा भाद्रापद शनि, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल रेवती बुध, प्रथमः गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु ग्रहों को चरणों का स्वामित्व किस आधार पर दिया गया, यह एक विचारणीय प्रश्न है ? ज्योतिष शास्त्र को पढ़ते समय मन में ऐसी प्रत्येक जिज्ञासाएं कभी-कभी सनातन प्रश्न का रूप ले लेती हैं। उनका समाधान कोई अनुभवी, अध्ययन एवं शोधप्रिय ज्योतिष ही दे सकता है। . हमारा प्रयत्न यही है कि हम पाठकों के लिए अध्ययन योग्य सभी सामग्री एक जगह रखें ताकि प्रबुद्ध पाठक इस संबंध में अधिक अध्ययन एवं शोध के लिए प्रवृत्त हों। नक्षत्रों के नौ भेद नक्षत्रों की तारा का अर्थः (कौन सी तारा जन्म की मुहुर्त की) तारा नौ प्रकार की मानी गयी है :ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 40 . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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