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________________ 19 घटियों वाला अभिजित नक्षत्र सभी कार्यों के लिए शुभ माना गया है। मध्य रात्रि व दोपहर में लगभग अभिजीत मुहुर्त होता है। भगवान श्री राम और भगवान कृष्ण इसी मुहुर्त में पैदा हुए थे। सिक्ख धर्म के सरदार लोग दोपहर में इसी मुहुर्त में शादी करते हैं। क्या कोई ग्रह किंसी नक्षत्र में होने से एक ही फल देता है या उस नक्षत्र में भी उसके फलों में अंतर आ जाता है ? ऐसा होता है तो क्यों ? किसी भी नक्षत्र में कोई ग्रह एक जैसा फल नहीं देता। ग्रह विशेष नक्षत्र के किस चरण में स्थित है और उस चरण विशेष का स्वामी ग्रह कौन है, उस चरण-स्वामी ग्रह से नक्षत्र स्थित ग्रह के कैसे संबंध हैं, दोनों शुभ हैं, दोनों अशुभ हैं, या दोनों में मैत्री है या शत्रुता है, आदि का अध्ययन कर फल का निर्णय किया जाता है। नक्षत्रों के चरणों के स्वामी-ग्रहों के बारे में बताएं। प्रत्येक नक्षत्र की चर्चा करते हुए हमने आगे के पृष्ठों में उनके चरणों के स्वामी-ग्रहों की भी जानकारी दी है। 'जातक सारदीप का अध्ययन हमें इस विषय को समझने में सहायक हो सकता है। उसमें बताया गया है कि किस नक्षत्र-विशेष के चरण विशेष में स्थित ग्रह उस चरण के स्वामी ग्रह के कारण कैसा प्रभाव डालता है। निस्संदेह यह एक सूक्ष्म अध्ययन है। और हमें ज्योतिष ग्रंथ कर्ताओं के अध्ययन, शोध पर आधारित फल निर्णयों के पीछे छिपी वैज्ञानिकता और तार्किकता का कायल होना ही पड़ता है। यहाँ सारांश में नक्षत्र के चरणों के स्वामी-ग्रहों का परिचयः पाठक जब आगे विभिन्न नक्षत्रों के चरणों में स्थित ग्रहों के फलों को पढ़ें, तो उसके साथ उस चरण-विशेष के स्वामी ग्रह के गुण-धर्मों के संदर्भ में वर्णित फल को कसौटी पर कसने का प्रयत्न करें। नक्षत्र स्वामी ग्रह चरण एवं स्वामी ग्रह अश्विनी केतुः प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र भरणी शुक्र, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल कृत्तिका सूर्य, प्रथम: गुरु, द्वितीयः शनि, तृतीयः शनि, चतुर्थः गुरु रोहिणी चंद्र, प्रथमः मंगल, द्वितीयः शुक्र, तृतीयः बुध, चतुर्थः चंद्र मृगशिरा मंगल, प्रथमः सूर्य, द्वितीयः बुध, तृतीयः शुक्र, चतुर्थः मंगल ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार । 39 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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