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: भौंहे
3. कृत्तिका : सिर 4. रोहिणी
: माथा (ललाट) 5. मृगशिरा 6. आर्द्रा
: नेत्र 7. पुनर्वसु
: नाक 8. पुष्य ... : चेहरा 9. आश्लेषा : कान 10. मघा : ओंठ एवं ठुड्डी 11. पूर्वा फाल्गुनी : दायां हाथ 12. उत्तर फाल्गुनी : बायां हाथ 13. हस्त
: हाथों की अंगुलियां 14. चित्रा
: गर्दन (गला) 15. स्वाति
: फेफड़े 16. विशाखा : वक्षस्थल 17. अनुराधा : उदर 18. ज्येष्ठा
: दायां भाग 19. मूल
: बायां हाथ 20. पूर्वाषाढ़ा : पृष्ठ भाग (पीठ) 21. उत्तराषाढ़ा : कमर भाग (कमर) 22. अभिजित : मस्तिष्क 23. श्रवण
: गुप्तांग 24. धनिष्ठा :: गुदा 25. शतभिषा : दायीं जांघ 26. पूर्वाभाद्रपद : बायीं जांघ 27. उत्तराभाद्रपद : पिंडली का अगला हिस्सा 28. रेवती : एड़ी (घुटना भी)
आपने पहले 27 नक्षत्रों की चर्चा की है। लेकिन यहाँ एक अतिरिक्त नक्षत्र अभिजित का भी समावेश है ? ऐसा क्यों ?
ज्योतिष शास्त्र में आम तौर पर 27 नक्षत्रों का ही प्रचलन है पर ज्योतिर्विद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की 15 और श्रवण नक्षत्र की शुरू की चार घड़ियों को मिलाकर 19 घड़ी के अभिजित नक्षत्र की भी नक्षत्र मंडल में गणना करते हैं। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 38
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