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आश्लेषा (बुध) : वैद्य, परधनहर्ता, कंद-मूल, कीट-सर्प, विष - तुष
धान्य ।
मघा (केतु) : स्त्री द्वेषी, पितृभक्त, वैश्य, पर्वतवासी, धन-धान्य संपन्न, अन्न भंडार |
पूर्वा फाल्गुनी (शुक्र) : गायक, नटनी, शिल्पी, नमक, कपास । उत्तरा फाल्गुनी (सूर्य) : पवित्र, विनयी, दानी, शास्त्रज्ञ, स्वधर्मानुरागी । हस्त (चंद्र) : वेदज्ञ, ज्योतिषी, वणिक, मंत्री, शिल्पी, चोर |
चित्रा (मंगल) : गणितज्ञ, मणि, अंगराग ।
स्वाति (राहु) : निपुण व्यापारी, अस्थिर स्वभाव वाले, मृग, अश्व, पृथ्वी । विशाखा (गुरु) : अग्निमूलक, अन्न- मूंग, उड़द, चने, तिल, लाल वर्णी फूल ।
अनुराधा (शनि) : साधु-संतों के प्रति प्रेम वाले, शूरवीर, महानायक । ज्येष्ठा (बुध) : कुलीन, यशस्वी, धनी, विजय कामी नरेश, सेनानायक, परधन - हर्ता ।
मूल (केतु) : धनी, वैद्य, फूल, फल, बीज और कंदमूल से आजीविका चलाने वाले (माली) ।
पूर्वाषाढ़ा (शुक्र) : सत्यवादी, धनी, मृदु, सेतु - निर्माता । उत्तराषाढ़ा (सूर्य) : तेजस्वी, वीर, देवभक्त, मंत्री, मल्ल, अश्व । श्रवण (चंद्र) : भगवद् भक्त, सत्यवादी, कर्मठ, परिश्रमी, मायावी । धनिष्ठा (मंगल) : शांतिप्रिय, दानी, स्त्री द्वेषी, मान रहित । शतभिषा (राहु) : कलाकार, मछलीमार, शकुन जानने वाले पूर्वाभाद्रपद (गुरु) हिंसक, नीच, पशुपालक, शठ । उत्तराभाद्रपद (शनि) : दानी, वैभवशाली, तपस्वी, पाखंडी । रेवती (बुध): वैश्य, केवट, जल में उत्पन्न वस्तु पर आश्रित ।
क्या राशियों की तरह नक्षत्रों की भी शरीर में स्थिति मानी गयी है ? हाँ, राशियों की भांति शरीर के विभिन्न अंगों में नक्षत्रों की स्थिति मानी गयी है। ऐसा माना जाता है कि किसी अशुभ ग्रह का नक्षत्र पर प्रभाव, शरीर के उस अंग को भी प्रभावित करता है, जहाँ उस नक्षत्र विशेष की स्थिति मानी गयी है ।
नक्षत्रों द्वारा प्रभावित होने वाले शरीर के अंग इस प्रकार हैं :
:
पैरों का ऊपरी भाग
1. अश्विनी 2. भरणी
: पैरों का निचला भाग
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ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार 37
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