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________________ माना गया है। अधोमुख नक्षत्र हैं-मूल, आश्लेषा, कृत्तिका, विशाखा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, भरणी और मघा। अधोमुख नक्षत्रों में कूप खनन, खनिज कार्य, धरती के गर्भ में किये जाने वाले कार्यों को शुरू करने का परामर्श दिया जाता है। तिर्यंङ मुख नक्षत्रों में बांध बनवाने, वाहन आदि से संबंधित कार्य किये जाते हैं। ऐसे नक्षत्र हैं-मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, स्वाति, पुनर्वसु, ज्येष्ठा और अश्विनी। नक्षत्रों की नेत्र संज्ञा इसी तरह नक्षत्रों को अल्प, दृष्टि, अंध, सुअक्षि तथा एकाक्षी भी माना गया। एकाक्षी अर्थात् काना। यह वर्गीकरण चोरी संबंधी प्रश्नों में उपयोगी होता है। अल्प दृष्टि नक्षत्र हैं-रोहिणी, पुष्य, विशाखा, रेवती, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा एवं उत्तराफाल्गुनी। अंध नक्षत्र है-भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, पूर्वाभाद्रपद । सुअक्षि नक्षत्र हैं-कृत्तिका, पुनर्वसु, पूर्वा फाल्गुनी, स्वाति, श्रवण, मूल, उत्तराभाद्रपद। एकाक्षी नक्षत्र हैं-मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा। नक्षत्रों के वर्ण ग्रहों, राशियों की भांति नक्षत्रों का भी वर्गों में विभाजित किया गया है। तदनुसार ब्राह्मण वर्ण के नक्षत्र हैं पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद और कृत्तिका । क्षत्रिय वर्ण में इन नक्षत्रों का समावेश है : उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुष्य । वैश्य वर्ण के नक्षत्रों में रोहिणी, अनुराधा, मघा, रेवती की गणना होती है। शूद्र या सेवक वर्ण के नक्षत्र हैं-हस्त, पुनर्वसु, अश्विनी, अभिजीत। इसी तरह मूल, आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा नक्षत्रों की उग्र जाति का तथा आश्लेषा, विशाखा, श्रवण एवं भरणी नक्षत्रों को चंडाल जाति का माना गया है। नक्षत्रों का फलादेश करते समय इन सब बातों का भी विचार किया जाता है। नक्षत्रों के गुणों के बारे में भी बताइए ? योगदर्शन महर्षि पातंजलि के अनुसार प्रत्येक नक्षत्र में सत्व, रज या तम, कोई न कोई एक गुण होता है तथा वह नक्षत्र स्वयं में स्थित ग्रह विशेष को अपना वह गुण प्रदान कर देता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 28 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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