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श्रवण
राशि पथ में श्रवण नक्षत्र 280.00 अंशों से 293.20 अंशों के मध्य स्थित माना गया है। इसके पर्यायवाची नाम हैं-श्रोणा, विष्णु, हरि एवं श्रुति। अरबी में उसे सद बुला या अल बुला कहते हैं।।
श्रवण नक्षत्र में तीन तारे हैं जो वामन की भांति प्रतीत होते हैं। विष्णु को इस नक्षत्र का देवता माना गया है, जबकि ग्रहों में चंद्र को इस नक्षत्र का आधिपत्य दिया गया है।
गणः देव, योनिः वानर और, नाड़ीः अंत है। चरणाक्षर हैं: खि, खू, खे, खो। यह नक्षत्र मकर राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी शनि है।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातकों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। वे मधुर भाषी, स्वच्छता प्रिय, सिद्धांतवादी तथा दयालु स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातक सत्यनिष्ठ, ईश्वर भक्त, गुरु भक्त तथा औरों के मन की थाह लेने वाले होते हैं। उनमें एक साथ कई काम करने की क्षमता होती है। वे अच्छे प्रशासक भी सिद्ध होते हैं। उनमें प्रतिहिंसा की भावना नगण्य ही होती है।
सामान्यतः ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन सुखी ही बीतता है। पत्नी सद्गृहिणी एवं आज्ञाकारिणी होती है। संतान भी सुयोग्य ही होती है।
श्रवण नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं छरहरी होती हैं। प्रदर्शन प्रियता एवं वाचालता कभी-कभी उनका दुर्गुण बन जाती है।
ऐसी जातिकाओं की नृत्य-संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में भी पर्याप्त रुचि होती है।
जहाँ तक वैवाहिक जीवन का संबंध है, वे सुखी ही रहती हैं। चूंकि वे ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 210
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