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हैं। यद्यपि ऐसी जातिकाएं कई कारणों से पुरुषों से घृणा करती हैं तथापि विवाह के बाद उनका पारिवारिक जीवन सुखी ही बीतता है।
अभिजित नक्षत्र में स्थित सूर्य दीर्घायुष्य प्रदान करता है जबकि चंद्रमा जातक के मन को ही विशेष प्रभावित करता है। मंगल भी जातक के मन को ही प्रभावित करता है। मंगल जातक को प्रतिरक्षा सेनाओं के प्रति आकर्षित करता है। बुध के मिश्रित फल मिलते हैं। गुरु जातक को किसी शासकीय उच्च पर पर आसीन करवाता है। शुक्र के कारण प्रेम विवाह की स्थिति बनती है। शनि के फल अशुभ होते हैं। राहु भी विपत्ति कारक सिद्ध होता है। जातक दूसरों को भी परेशानी में डालता रहता है। लेकिन राहु की तुलना में केतु के फल गुरु के फल जैसे होते हैं। जातक उच्च शासकीय पद पर हो सकता है। स्वयं के व्यवसाय में हो तो उसमें भी सफल होता है। । प्रतिदिन सामान्यतः 1.36-12.24 तक अर्थात् मध्याह्न काल 12 बजे से 1 घंटे पहले और 1 घंटे बाद तक इस नक्षत्र को माना जाता है। .
मुहुर्त शास्त्र में अभिजित का महत्व सबसे ज्यादा है। अभिजित मुहुर्त में तिथि, वार, नक्षत्र योग कारण अर्थात् पंचांग के पांचों अंग शुभ न हो तो भी यात्रा में उत्तम फल देने वाला होता है केवल दक्षिण दिशा को .छोड़कर।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 209
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