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________________ है। इनमें से 23 तो दक्षिणी गोलार्द्ध के ध्रुर दक्षिण में हैं। 18वीं शती के खगोलशास्त्रियों ने पहली बार इनका नामकरण किया। पृथ्वी और नक्षत्रों का क्या संबंध है ? ___ यद्यपि हमारी पृथ्वी अपने क्रांतिवृत्त पर सूर्य की परिक्रमा करती रहती है तथापि धरती से ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य ही पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। और एक समय यह विश्वास इतना बद्धमूल था कि अनेक खगोलशास्त्रियों को इस तथ्य को प्रतिपादित करने के लिए धार्मिक मठाधीशों के हाथों कठोर दंड सहने पड़े। क्रांतिवृत्त क्या है ? पृथ्वी जिस मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करती है, उसे क्रांति वृत्त (तारों के बीच पश्चिम से पूर्व की ओर खिसकता हुआ सूर्य जिस आभासित मार्ग पर भ्रमण करता हुआ दिखाई देता है उसको KV कहते हैं) कहते हैं। यह मार्ग अंडाकार है। इसे भचक्र भी कहते हैं। इस क्रांतिवृत्त की पृष्ठभूमि में असंख्य तारे नजर आते हैं। आज यह कल्पना भी कर पाना मुश्किल है, कब, कहाँ, किन लोगों ने इन असंख्य तारों के बीच कुछ चिर-परिचित छवियां खोजीं। निस्संदेह यह किसी एक पीढ़ी का काम नहीं होगा फिर भी संसार में अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग जगह एक-एक समूह बनाया। कालांतर में इन तारों को 27 आकृतियों में बांटा गया है। यही आकृतियां नक्षत्र कहलाती हैं। यों एक नक्षत्र अभिजित को भी माना गया है। इसे मिला दें तो नक्षत्र 28 हो जाते हैं। इसे (Vega Star) के नाम से जाना जाता है। नक्षत्रों एवं राशियों का क्या संबंध है ? - नक्षत्र 27 हैं और राशियां 12। अतः जब इन 27 नक्षत्रों का बारह से विभाजन किया गया तो प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्रों की स्थिति की कल्पना की गयी। क्रांतिवृत्त के 360 अंशों को बारह राशियों में विभाजित करने पर प्रत्येक राशि में तीस अंश आये। और जब 27 नक्षत्रों को बारह से विभाजित किया गया तो प्रत्येक नक्षत्र को 13.20 अंश प्राप्त हुए। सवा दो नक्षत्र प्रत्येक राशि में आये। सुविधा के लिए प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में बांटा गया और उसके ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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