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________________ सुख से बिताते हैं। उन्हें पत्नी भी अच्छी मिलती है, सुगृहिणी, गृहकार्य में दक्ष। हस्त नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं सुंदर, कोमल शरीर तथा आकर्षक व्यक्तित्व वाली होती हैं। नारी सुलभ लज्जा से युक्त ऐसी जातिकाएं बड़ों का आदर करने तथापि अपनी अभिव्यक्ति को येन-केन-प्रकरण प्रकट कर देने वाली होती हैं। कभी-कभी अभिव्यक्ति की उनकी यह स्वतंत्रता संबंधियों को शत्रु तक बना देती है। ऐसी जातिकाओं का वैवाहिक जीवन सुखद माना गया है, तथापि उन्हें मूल नक्षत्र में जन्मे जातक से विवाह न करने का परामर्श दिया गया है। ऐसी जातिकाओं को प्रथम संतान पुत्र होती है। हस्त नक्षत्र के विभिन्न चरणों के स्वामी ग्रह इस प्रकार हैं-प्रथम चरण: मंगल, द्वितीय चरण: शुक्र, तृतीय चरणः बुध एवं चतुर्थ चरण: चंद्रमा। हस्त के विभिन्न चरणों में सूर्य हस्त के विभिन्न चरणों में सूर्य सामान्य फल देता है। यदि सूर्य के साथ, शुक्र की भी युति हो तो विवाह में विलंब होता है। पैंतीस वर्ष की अवस्था में ही यह कार्य संपन्न हो पाता है। प्रथम चरण: यहाँ सूर्य जातक को निर्माण कार्यों से संबंधित व्यवसाय में प्रवृत्त करता है, यथा इंजीनियर, ठेकेदार आदि। इस चरण में यदि सूर्य के साथ शुक्र भी हो तो विवाह में विलंब होता है, विशेषकर स्त्रियों के मामले में। द्वितीय चरणः यहाँ सूर्य सामान्य फल देता है। जीवन साधारण बीतता है। यदि सूर्य के साथ शुक्र हो तो जातक की पत्नी उसके लिए मानसिक संताप का कारण बन जाती है। तृतीय चरण: यहाँ भी सूर्य शुक्र की युति विवाह में विलंब कारक है, विशेषकर स्त्रियों के मामले में। इस चरण में सूर्य अध्ययन के प्रति रुचि बढ़ाता है। जातक विद्वान होता है और ज्ञानदान में उसे संतोष मिलता है। चतुर्थ चरण: यहाँ सूर्य साहित्य के प्रति रूझान जागृत करता है। व्यक्ति में लेखन प्रतिभा होती है। वह अनुवादक और दुभाषिये का कार्य भी भली-भांति कर सकता है। हस्त स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि चंद्र की दृष्टि जातक को जन्म-स्थल से दूर रखती है। संबंधी भी सहायक नहीं होते। उनसे कष्ट ही मिलता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 145 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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