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मंगल की दृष्टि उसे आलसी बनाती है। बुध की दृष्टि उसकी संतान को शासन से लाभ प्राप्त करवाती है।
गुरु की दृष्टि उसे गुह्य विद्याओं की ओर प्रवृत्त करती है। पत्नी और संतान से संबंधों की दृष्टि से यह स्थिति अशुभ है।
शुक्र की दृष्टि विदेशों का प्रवासी बनाती है। शनि की दृष्टि कामवासना बढ़ाती है।
हस्त के विभिन्न चरणों में चंद्र
हस्त के विभिन्न चरणों में चंद्र सामान्य फल देता है।
प्रथम चरणः यहाँ चंद्र सामान्य फल देता है। इस चरण में जन्म पिता के लिए अशुभ माना गया है।
द्वितीय चरणः इसमें जन्म मामा के लिए अशुभ होता है। जातक को मादक पदार्थ ग्रहण करने में विशेष रुचि होती है। यह उसे रोगी बनाती है।
तृतीय चरण: यहाँ जन्म स्वयं जातक के लिए घातक बताया गया है। जातक व्यवसाय भी कर सकता है। इंजीनियरिंग में भी उसकी रुचि होती है।
चतुर्थ चरण: यहाँ चंद्र जातक को सहृदय, संवदेनशील बनाता है। वह लेखक भी हो सकता है। प्रकाशन व्यवसाय में भी रुचि होती है। इस चरण में जन्म माता के लिए अशुभ माना गया है।
हस्त स्थित चंद्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को विद्वान बनाती है, पर वह अर्थाभाव से ग्रस्त भी रहता है। ___ मंगल की दृष्टि उसे विविध विषयों का विद्वान और धनी बनाती है।
बुध की दृष्टि के फलस्वरूप उसे सदैव अपने उच्चाधिकारियों की कृपा का लाभ मिलता रहता है।
गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप वह एक प्रतिभाशाली एवं प्रसिद्ध विद्वान बनता है।
शुक्र की दृष्टि उसे चिकित्सा-व्यवसाय में प्रवृत्त करती है। शनि की दृष्टि उसे धन से, पारिवारिक सुख से वंचित रखती है।
हस्त के विभिन्न चरणों में बुध
हस्त के विभिन्न चरणों में बुध सामान्य फल देता है तथापि यदि अन्य ग्रह भी अनुकूल हो, तो जातक राजा अथवा राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तुल्य ज्योतिष-कोमुनी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार 16
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