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________________ हस्त हस्त राशिपथ में 160.00 से 173.20 अंशों के मध्य स्थित नक्षत्र है। भानु, अर्क एवं असण' अन्य पर्यायवाची नाम हैं। अरबी में इसे 'अल अवा' कहते है। हस्त नक्षत्र में पांच तारों की स्थिति मानी गयी है, जो हथेली की भांति दिखायी देते हैं। हस्त नामकरण के पीछे शायद यही कारण है। हस्त का देवता सूर्य एवं स्वामी ग्रह चंद्र माना गया है। गण: देव, योनिः महिष एवं नाडीः आदि है। इस नक्षत्र के चारों चरण कन्या राशि में आते हैं, जिसका स्वामी बुध है। . चरणाक्षर हैं-पू, ष, ण, ठ। हस्त नक्षत्र में जन्मे जातक लंबे एवं हष्ट-पुष्ट शरीर वाले होते हैं। ऐसे जातक शांतप्रिय, जरूरतमंदों की सहायता के लिए सदैव तत्पर, आडम्बर से शून्य होते हैं। वे सदैव मुस्कराते रहते हैं तथा अपने व्यक्तित्व और कृत्तित्व से लोगों में सम्मान और आदर के पात्र बनते हैं। ऐसे जातक अनुशासनप्रिय तथा जीवन में आने-वाले हर उतार-चढ़ाव का विवेक से सामना करते हैं। उनके जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। चूंकि ऐसे जातक किसी की पराधीनता पसंद नहीं करते, अतः अक्सर वे उद्योग एवं व्यवसाय में उच्च पद पर अपनी मेहनत के बल पर पहुँच ही जाते हैं। हस्त नक्षत्र में जातक अच्छे सलाहकार भी सिद्ध होते हैं। विवादों का निपटारा करने में उन्हें एक तरह की दक्षता प्राप्त होती है। हस्त नक्षत्र में जातक छोटे-मोटे विवादों के बावजूद वैवाहिक जीवन ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 144 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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