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________________ कार्य करना चाहते हैं। प्रतिदान में वे और कुछ नहीं मात्र मानसिक परितोष-संतोष चाहते हैं। स्वाभाविक है कि ऐसे लोग आजकल के व्यवसाय में अपनी ईमानदारी के कारण ही असफल रहेंगे। लेकिन चाहे वे व्यवसाय में हो, चाहे नौकरी में अपने मृदु, ईमानदार व्यवहार के कारण वातावरण में संतुलन बनाए रखते हैं। ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन भी प्रायः सुखी ही रहता है। ___ मघा नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं का व्यक्तित्व सुंदर और आकर्षक होता है। जातकों की भांति वे भी ईश्वर-निष्ठ होती हैं और निस्वार्थ भाव से सबकी सहायता करती हैं। वे गृह कार्य में, आफिस के काम काज में भी दक्ष होती हैं। इतने सद्गुणों के बावजूद गुस्सा जैसे उनकी नाक पर सवार रहता है। यही कारण है कि उनका पारिवारिक, वैवाहिक जीवन अशांत रहता है। उन्हें पति एवं परिवार वालों के बीच दीवारें खड़ा करने वाला भी मान लिया जाता है। मघा के विभिन्न चरणों के स्वामी इस प्रकार हैं-प्रथम चरण: मंगल, द्वितीय चरणः शुक्र, तृतीय चरण: बुध एवं चतुर्थ चरणः चंद्र। मघा के विभिन्न चरणों में सर्य प्रथम चरणः यहाँ सूर्य अभावग्रस्त रखता है। आजीविका के लिए जातक को नौकरी करनी पड़ती है। द्वितीय चरण: यहाँ भी सूर्य प्रथम चरण जैसे ही फल देता है, यथा अभावग्रस्त जीवन, दरिद्रता, जातक दुर्बलता के कारण थकान जल्दी अनुभव करता है। तृतीय चरणः यहाँ सूर्य का विशेष फल नहीं होता। जातक मध्यम आयु का होता है। चतुर्थ चरणः यहाँ भी सूर्य अभावग्रस्त रखता है, पर जीवन भर नहीं। लगभग चालीस वर्ष की अवस्था तक। इसके बाद जीवन अपेक्षाकृत सुखी हो जाता है। मघा स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि चंद्र की दृष्टि शुभ होती है। इतनी कि मघा के विभिन्न चरणों में अभावग्रस्त रहने वाला जातक चंद्र दृष्टि के फलस्वरूप प्रसिद्ध और शक्ति संपन्न हो जाता है। व्यक्ति खर्चीला भी बहुत होता है। मंगल की दृष्टि भी उसे खर्चीला बनाती है। इस दृष्टि के फलस्वरूप जातक स्वयं को स्त्री जाति की सेवा में लगा देता है। जातक परिश्रमशील लेकिन कटु वचन बोलने वाला होता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 124 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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