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________________ सकता है तथापि इससे परिवार के प्रति उनकी आसक्ति में कोई कमी नहीं आती। ___पुष्य नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं शांति प्रिय, सौजन्य से भरी तथा समर्पण की भावना से युक्त होती हैं-फलतः अक्सर वे सबके दबाव और दुर्व्यवहार का भी शिकार बनी रहती हैं। ऐसी जातिकाएं ईश्वर-भक्त तथा सबकी सहायता करने वाली होती हैं। __ऐसी जातिकाएं अपने मन की बात मुश्किल से व्यक्त करती हैं, ज्यादातर वे अपने मन को अभिव्यक्त ही नहीं करतीं। वैवाहिक जीवन में भी वे पति तक से अपने मन की बात नहीं कहती, फलतः हमेशा गलत समझी जाती हैं। सिवाय आत्म-पीड़ा के उन्हें कुछ नहीं मिलता। ऐसी जातिकाएं श्वास संबंधी रोग का शिकार हो सकती हैं। पुष्य के विभिन्न चरणों के स्वामी-प्रथम चरणः सूर्य, द्वितीय चरणः बुध, तृतीय चरणः शुक्र तथा चतुर्थ चरणः मंगल। पुष्य के विभिन्न चरणों में सूर्य पुष्य के विभिन्न चरणों में सूर्य के मिश्रित फल प्राप्त होते हैं। । प्रथम चरणः यहाँ सूर्य पिता के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। जातक का व्यक्तित्व सुंदर और आकर्षक होता है। यहां स्थित सूर्य पित्त और कफ संबंधी व्याधियां बढ़ाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि लग्न मघा नक्षत्र में हो एवं सूर्य पुष्य नक्षत्र में हो तो जातक का जन्म यद्यपि सामान्य और अभावग्रस्त परिवार में होता है, तथापि जातक के जन्म के बाद उसके पिता की स्थिति में उत्तरोत्तर सुधार होता जाता है और फलतः जातक का जीवन सुखी बीतता है। ऐसे जातकों में नशे के प्रति सहज आकर्षण होता है। द्वितीय चरण: यहाँ सूर्य चित्त की अस्थिरता बढ़ाता है। फलतः वह कोई काम एकाग्रचित्त से नहीं कर पाता। तथापि ऐसा व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार होता है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है, विशेषकर अंतरिक्ष संबंधी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में। तृतीय चरण: यहाँ सूर्य शुभ फल देता है। जातक राजसी वृति का होता है। अपने व्यवहार और कार्यों से उसे सफलता और प्रसिद्धि भी प्राप्त होती है। सामान्यतः ऐसे जातक लंबे कद के होते हैं तथापि उनकी नेत्रदृष्टि विकार युक्त होती है। ज्योतिष कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 108 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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