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चतुर्थ चरण: यहाँ सूर्य सामान्य फल देता है तथापि जातक पत्नी के मामले में सौभाग्य शाली नहीं होता। पत्नी उसकी प्रगति के मार्ग में बाधा बन जाया करती है।
पुष्य स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
चंद्र की दृष्टि औद्योगिक क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है। व्यक्ति या तो स्वयं सफल-प्रसिद्ध उद्योगपति होता है, अथवा फिर वह शासकीय क्षेत्र के अथवा निजी क्षेत्र के किसी उद्योग में उच्च पद पर होता है। ___मंगल की दृष्टि जातक को धनी-मानी बनाती है। तथापि वह रोग ग्रस्त भी होता है। संबंधी भी उसके मार्ग में बाधक बनते हैं।
बुध की दृष्टि उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायक होती है। व्यक्ति शासकीय सेवा में होता है। ___ गुरु की दृष्टि उसे राजनीति अथवा प्रतिरक्षा विभाग की ओर प्रेरित . करती है। - शुक्र की दृष्टि व्यक्ति को परोपकारी बनाती है। धातु उद्योग में उसे विशेष सफलता दिलाती है। __ शनि की दृष्टि रोग-ग्रस्त बनाती है। जीवन-साथी की आयु पर अशुभ प्रभाव डालती है। जातक बेहद चतुर होता है, पर घोर स्वार्थी भी।
पुष्य के विभिन्न नक्षत्रों में चंद्र की स्थिति
पुष्य के प्रथम तीन चरणों में स्थित चंद्र प्रायः शुभ फल देता है। चतुर्थ चरण में स्थित चंद्र का फल ठीक नहीं है।
प्रथम चरणः यहाँ जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। किंतु स्वास्थ्य में कफ-वायु का विकार उसे परेशान रखता है। ऐसा व्यक्ति स्त्रियों के प्रति कोमल भावनाएं रखता है व जल्दी ही उनके प्रभाव में आ जाता है।
द्वितीय चरण: यहाँ जन्मा व्यक्ति धनी होता है। जमीन-जायदाद मकान के सुख से युक्त। उसके अनेक अच्छे और सच्चे मित्र होते हैं। ऐसा व्यक्ति 'यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमते तत्र देवता की उक्ति के अनुसार आचरण करता है अर्थात् स्त्रियों के प्रति सदैव आदर भाव रखता है।
तृतीय चरणः यहाँ चंद्र जातक को विदेश प्रवास का शौकीन बनाता है। वहाँ अपने परिश्रम के कारण वह मान-सम्मान और धन भी अर्जित करता है। प्रकृति से उसे अच्छा प्यार होता है। चतुर्थ चरणः यहाँ चंद्र जातक को कुमार्गी बनाता है। वह स्वार्थ लोलुप,
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 109
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