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पुष्य
राशि पथ में पुष्य नक्षत्र की स्थिति 93.2 अंशों से 106.40 अंशों से मध्य मानी गयी है । पुष्य के अन्य पर्यायवाची नाम हैं- तिस्य, अमरेज्या ।
अरबी में उसे अन- तराह कहते हैं। इस नक्षत्र में तीन तारे हैं । पुष्य का देवता गुरु एवं स्वामी ग्रह शनि कहा गया है। गणः देव, योनिः मेष एवं नाड़ी: मध्य है ।
चरणाक्षर हैं - हू, हे, हो, डा।
पुष्य के चारों चरण कर्क राशि (स्वामी : चंद्र) में आते हैं ।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक प्रायः अस्थिर मति के होते हैं। हर बात में संदेह उनकी प्रकृति होती है। प्रशंसा उन्हें फुला देती है, जबकि आलोचना असहय । वे तत्काल अवसाद में घिर जाते हैं । फलतः मीठा बोल कर उनसे अच्छा कार्य करवाया जा सकता है। उनमें जन्मजात प्रतिभा एवं बुद्धिमता भी होती है तथा वे अवैध, अनैतिक एवं कानून - विरोधी कार्यों का जमकर विरोध करते हैं ।
उन्हें कोई भी कार्य सौंप कर निश्श्चंत हुआ जा सकता है, क्योंकि वे सौंपे गये कार्य को निहायत ईमानदारी एवं संपूर्ण कुशलता से करने का प्रयत्न करते हैं ।
पुष्य नक्षत्र में जन्में जातक थियेटर, कला एवं वाणिज्य व्यवसाय के क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।
ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन प्रायः समस्याग्रस्त रहता है तथा परिस्थितियों वश उन्हें अपनी पत्नी एवं बच्चों से दूर जीवन बिताना पड़
ज्योतिष- कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र विचार 107
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