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________________ प्रथम चरण: यहाँ शनि अच्छा नहीं माना गया है । व्यक्ति सटोरिया होता है और उसमें सब कुछ उड़ा देता है। वह कर्जदार भी हो जाता है । कभी-कभी आपराधिक मामलों में भी यह फंस जाता है। द्वितीय चरण: यहाँ शनि अच्छे फल देता है । व्यक्ति साहूकारी का धंधा करता है । लौह-इस्पात से संबंधित उद्योगों से उसे लाभ होता है। तृतीय चरणः यहाँ शनि परिश्रमी और सक्रिय बनाता है। वह केमिकल या मैकेनिकल इंजीनियर बन सकता है। उसे उच्च पद भी मिलता है। चतुर्थ चरण: यहाँ शनि व्यक्ति को गुस्सैल बनाता है। उसकी यह प्रवृत्ति नाना प्रकार की समस्याओं को जन्म देती है। उसका बचपन दुखी बीतता है। पुनर्वसु के विभिन्न चरणों में राहु की स्थिति पुनर्वसु में राहु की स्थिति सामान्यतः शुभ फल देती है। प्रथम चरण: यहाँ राहु सही निर्णय करने की क्षमता देता है । लेखन, प्रकाशन और शिक्षण से उसे लाभ मिलता है। द्वितीय चरणः यहाँ राहु व्यक्ति को विज्ञान के क्षेत्र में उसके किसी शोध के कारण प्रसिद्ध बनाता है। उसका व्यक्तित्व आकर्षक और दृष्टिकोण उदार होता है। तृतीय चरणः यहाँ राहु व्यक्ति को बुद्धिमान और अच्छी स्मरण शक्ति वाला बनाता है। लोभ से दूर वह संतोषी प्रवृत्ति का होता है। सरकारी नौकरी में वह एकाउंट विभाग में प्रमुख भी बन सकता है। . चतुर्थ चरणः यहाँ राहु साहित्यकार - पत्रकार अथवा प्रकाशक बना देता है । राहु-बुध की युति ज्योतिष - प्रवीण बनाती है । वह गणितज्ञ होता है । साथ ही स्त्रियों का शौकीन भी । पुनर्वसु के विभिन्न चरणों में केतु की स्थिति प्रथम चरणः यहाँ केतु भाई-बहनों के लिए घातक होता है। द्वितीय चरणः यहाँ केतु से ज्ञात होता है कि व्यक्ति का जन्म समृद्ध परिवार में हुआ है। उसका पिता समाज का सम्माननीय सदस्य है । पर जातक ऐसे देव तुल्य पिता के लिए दुःख ही दुःख पैदा करता है। तृतीय चरणः यहाँ केतु हो तो तीन पत्नियों की संभावना बनती है । ऐसा व्यक्ति सदैव कर्ज में डूबा रहता है । चतुर्थ चरण: यहाँ केतु घोर परिश्रम के बावजूद दरिद्र रखता है। तथापि संतान से उसे सुख मिलता है। ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 106 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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