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70 एकविंश सर्ग - शरद् ऋतु का सुन्दर वर्णन और, भ. महावीर का निर्वाण-गमन । द्वाविंश सर्ग - भ. महावीर के पश्चात् जैन संघ में भेद, जैन धर्म का उत्तरोत्तर ह्रास
ग्रन्थकार द्वारा हार्दिक दुःख प्रकट करना, अन्त में लघुता निवेदन ।
206-211
और उस पर ।
212-222
परिशिष्ट -
संस्कृत टीका - सर्ग प्रथम से षष्ठ सर्ग तक .... श्लोकानुक्रमणिका - क्लिष्ट शब्दों का अर्थ तीर्थकरादि-नाम-सूची विशिष्ट व्यक्ति-नाम सूची भौगोलिक-नाम सूची वीरोदय-गत-सूक्तयः चित्रबन्ध-काव्य-रचना
223-256 257-271 272-280 281-282 282-286 286-287 287-291
92-93
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