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और अर्थ से भी महादेव माने हैं ।। ६ ॥
भावार्थ
जो शास्त्रज्ञान में अपटु लौकिक मंत वाले हैं, एवं जिनका गुण एवं ज्ञान से आत्मसात् नहीं हुआ है ऐसे अज्ञानी, महादेव शब्द से ही महादेव को मानते हैं, गुण तथा अर्थ से नहीं । किन्तु जिनशासन - जैनधर्म में माने गये जिनेश्वररूपी महादेव तो शब्द से, अर्थात् महादेव नाम से, एवं सर्वज्ञ - केवलज्ञान आदि होने के कारण अन्य देवों से श्र ेष्ठ ऐसे अर्थ से तथा जितेन्द्रिय वीतराग आदि गुणों से भी समलंकृत सच्चे महादेव हैं । इससे अलावा कोई नहीं सारे विश्व में ।। ६ ।।
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अवतरणिका
गुणतोऽर्थतश्चेति विशदयति-
मूल पद्यम्-
[ ७ ]
शक्तितो व्यक्तितश्चैव,
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विज्ञानाल्लक्षणात् तथा ।
मोहजालं हतं येन,
महादेवः स उच्यते ॥ ७ ॥
श्रीमहादेवस्तोत्रम् -- १९
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