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________________ तत्र निवासं कुर्यात् इति पुराणादौ कथितम् । एवं जन्मदेशभेदे सति, 'एकत्तिः कथं भवेत् ?' नैकस्या एव मूर्तरनेकदेशे जन्मेति नैकमूत्तिः ।। २६ ।। पद्यानुवाद - विश्व में मथुरापुरी में जन्म ब्रह्मा का हुआ है , तथा राजगृहीपुरी में जन्म महेश का हुआ है । विष्णुजी का वासादि भी द्वारामती में हुआ है , इन तीनों की ही एकमूत्ति कैसे हो सकती है ॥ २६ ॥ शब्दार्थ - ब्रह्मा=ब्रह्मा नाम के देव । मथुरायां = मथुरा नाम की नगरी में । जातः- उत्पन्न हुए हैं। महेश्वरः = महेश्वर नाम के देव । राजगृहे = राजगृही नाम की नगरी में उत्पन्न हुए हैं । विष्णु विष्णु नाम के देव । द्वारावत्या द्वारावतीद्वारामती-द्वारका नाम की नगरी में । अभूत =रहने वाले हैं। ऐसी स्थिति में, एकमूत्तिः एकत्ति, कथं = कैसे । भवेत् =हो सकती है। श्लोकार्थ ब्रह्मा मथुरा नाम की नगरी में उत्पन्न हुए हैं। महेश्वर । (महेश-शंकर) राजगृही नाम की नगरी में उत्पन्न हुए हैं। तथा विष्ण (कृष्ण) ने द्वारावती-द्वारामती-द्वारका नामकी श्रीमहादेवस्तोत्रम्-८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002760
Book TitleMahadev Stotram
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSushilmuni
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram Sirohi
Publication Year1985
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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