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चार भुजावंत विष्ण जी विश्वमहीं कहलाते हैं , इन तीनों को ही एकत्ति कैसे हो सकती है ? ॥२८॥
शब्दार्थ
ब्रह्मा ब्रह्मा नाम के देव । चतुर्मुखः=चार मुख वाले । भवेत् =हैं । अथ तथा । महेश्वरः महेश्वर नाम के देव । त्रिनेत्रः तीन नेत्र वाले हैं। विष्ण: विष्णु नाम के देव । चतुर्भुजः चार भुजा (बाहु) वाले । भवेत् = हैं । ऐसी स्थिति में, एकत्तिः = एकमूत्ति, कथं कैसे । भवेत् = हो सकते हैं।
श्लोकार्थ
ब्रह्मा चार मुख वाले हैं, महेश्वर तीन नेत्र वाले हैं और विष्णु चार भुजा वाले हैं, अब इन तीनों की एकमूत्ति कैसे हो सकती है ? भावार्थ -
पुराणों में 'चतुर्मुखो ब्रह्मा' कहे गये हैं, 'त्रिनेत्रो महेश्वरः' कहे गये हैं, तथा चतुर्भुजो विष्ण:' कहे गये हैं । यहां जिज्ञासा से प्रश्न होता है कि-तो एक मूर्ति के तीन भाग कैसे हो सकते हैं? यदि मूत्ति एक ही माने तो ब्रह्मा को त्रिनेत्र और चतुर्भुज, महेश्वर को भी चतुर्मुख एवं चतुर्भुज, विष्ण को भी त्रिनेत्र तथा चतुर्मुख कह सकते; किन्तु ऐसा नहीं
श्रीमहादेवस्तोत्रम्-८२
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