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शब्दार्थ -
ब्रह्मा ब्रह्मा नाम के देव । रक्तवर्णः = लाल वर्ण वाले। भवेत् =हैं। महेश्वरः महेश्वर नाम के देव । श्वेतवर्णः=शुक्ल वर्ण वाले हैं। तथा विष्ण :=विष्णु नाम के देव । कृष्णवर्णः=श्याम वर्ण वाले। भवेत् =हैं। ऐसी स्थिति में, एकमूत्तिः एकमूति । कथं कैसे । भवेत् =हो सकते हैं ? श्लोकार्थ - . ब्रह्मा का रक्त (लाल) वर्ण है, महेश्वर (महेश) का श्वेत (सफेद) वर्ण है और विष्णु का कृष्ण (श्याम) वर्ण है। इसलिये ऐसी स्थिति में इन तीनों की एक मूर्ति कैसे हो सकती है ? भावार्थ
पुराणों में तीनों देवों का देहवर्ण भिन्न-भिन्न कहा है। जैसे ब्रह्मा का देहवर्ण रक्त (लाल) कहा गया है, महेश्वर (महेश) का देहवर्ण श्वेत (सफेद) कहा गया है तथा विष्णु का देहवर्ण कृष्ण (श्याम) कहा गया है । जबकि एक मूत्ति की कान्ति एक ही वर्ण की होती है, अनेक प्रकार की नहीं । इसलिये भिन्न-भिन्न वर्ण के कारण तीनों देव भिन्न ही हैं। उन तीनों देवों की एक मूत्ति कैसे हो सकती है ? ॥ २६ ।।
श्रीमहादेवस्तोत्रम् --७७
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