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जन्म नक्षत्र उनका भी रोहिणी कहा जाता है इन तीनों की एक मूर्ति कैसे ही हो सकती है ? ॥ २४ ॥
शब्दार्थ -
विष्णुः = विष्ण ु (कृष्ण) नाम के देव । वसुदेवसुतः : वसुदेव राजा के पुत्र हैं । च = तथा । माता = विष्णु, (कृष्ण) की माता । देवकी देवकी नाम की। स्मृता = कही है | जन्मनक्षत्र = विष्णु (कृष्ण) के नक्षत्र | रोहिरणी = रोहिणी नाम का है । एकमूत्तिः = एकमूर्ति । सकती है ?
जन्म समय का ऐसी स्थिति में,
कथं–कैसे ।
भवेत् ? = हो
श्लोकार्थ
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विष्णु (कृष्ण) वसुदेव राजा के पुत्र हैं और उनकी माता देवकी है तथा उनका जन्म नक्षत्र रोहिणी माना गया है । ऐसी स्थिति में इन तीनों की एक मूर्ति या एक मूर्ति के ये तीनों भाग कैसे हो सकते हैं ?
भावार्थ
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[ पुराण में कृष्ण को विष्णु का अवतार कहा है, तदनुसार यहां माता- पितादि का उल्लेख इस तरह है । ] 'विष्णु' वसुदेव राजा के पुत्र हैं । उनकी माता का नाम 'देवकी' है, तथा उनका जन्मनक्षत्र 'रोहिणी' है । ऐसी स्थिति में इसलिये
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श्री महादेवस्तोत्रम् - ७२
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