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________________ भावार्थ - [पुराण में प्रजापति के पुत्र को ब्रह्मा का अवतार कहा है । तदनुसार यहां माता-पितादि का उल्लेख इस तरह है।] ब्रह्मा प्रजापति द्विज के पुत्र हैं, उनकी माता का नाम पद्मावती है । तथा ब्रह्मा का जन्मनक्षत्र अभिजित् है । इसलिये ऐसी परिस्थिति में इन तीनों की एक मूत्ति कैसे हो सकती है ? एक मूत्ति के ही भिन्न-भिन्न अवस्थाओं के सूचक ये नाम हैं ऐसा भी नहीं कहा जा सकता। कारण कि इन तीनों के माता, पिता और जन्मनक्षत्र भिन्न-भिन्न नाम के हैं। एक ही व्यक्ति के भिन्न-भिन्न माता-पिता तथा जन्मनक्षत्र नहीं होते हैं । इसलिये ब्रह्मा, विष्ण एवं महेश एक मूर्ति के तीन विभाग नहीं हैं। इसलिये कहा है कि 'एकमूत्तिः कथं भवेत्' ।। २३ ।। [ २४] अवतरणिका - त्रिविभागकैव मूतिर्जाता इति चेत् तदपि नेत्याह मूलपद्यम् - वसुदेवसुतो विष्णु-, मर्माता च देवकी स्मृता। रोहिणी जन्मनक्षत्र-मेकमूतिः कथं भवेत् ॥ श्रीमहादेवस्तोत्रम्-७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002760
Book TitleMahadev Stotram
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSushilmuni
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram Sirohi
Publication Year1985
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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