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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः ।
गड्वादिभ्यः | ३|१|१५६॥ गणिकाया यः | ६ | २|१७||
गतिः | १|१|३६|| गतिकारका - कौ | ३|२|८५ ||
गतिकन्य - षः | ३|१|४२|| गतिबोधा-दाम् |२|२|५|| गते गम्येSध्व - वा | २|२| १०७|| गतेर्नवाऽनाप्ते |२|२|६३॥ गतौ सेधः | २|३|६१ || गत्यर्थवदोऽच्छः | ३|१|८|| गत्यर्थाकर्मक- जेः | ५|१|११|| गत्यर्थात् कुटिले | ३|४|११||
गत्वर: |५|२|७८|| गन्धनावक्षेगे | ३|३|७६||
गमहनजन- लुक् | ४|२|४४|| गमहनविद्ऌ-वा |४|४|८३।। गमां कौ |४| २|५८ ॥ गमिषद्यमश्छः |४|२|१०६||
गमेः क्षान्तौ | ३ | ३|५५||
मोऽनात्मने |४| ४|५१ ||
गोवा | ४ | ३ | ३७ || गम्भीर- -वात् ।६।३।१३५। गम्ययपः कर्माधारे | २|२|७४ ||
गम्यस्याप्ये | २|२|६२|| गर्गभार्गविका | ६ | १|१३६।।
गर्गादेर्यञ् ।६।१।४२।।
गर्तौत्तरपदादीयः ।६।३।५७|| गर्भादप्राणिनि | ७|१|१३९ ||
गवाश्वादिः | ३|१|१४४॥
गवि युक्ते |३|२|७४|| गविधेः स्थिरस्य |२| ३ |२५||
स्थकः | ५ | १ | ६६ ॥ गहादिभ्यः | ६ | ३|६३|| गोर्जः | ४|२|४०||
गाः परोक्षायाम् |४|४|२६|| गात्रपुरुषात् स्नः |५|४|५९|| गाथिविद नः | ७|४|५४|| गान्धारिसाल्वेया | ६|१|११५ ॥ गापापचो भावे | ५ | ३|९५||
गापास्थासादा- कः | ४ | ३ |९६ || गायोऽनुपसर्गाट्ट | ५ | १|७४ || गिरिनदी - द्वा | ७|३|९०|| गिरिनद्यादीनाम् |२|३|६८|| गिरेयोऽखावे | ६ |३|२१९|| गुणाङ्गाद् वेष्ठेयसू |७|३|९||
गुणाद - नवा | २२|७७|| गुणादिभ्यो यः | ७|२/५३|| गुणोऽरेदोत् | ३|३|२|| गुपधूपवि-य: | ३|४|१|| गुप्तिजो- सन् | ३|४|५||
गुरावेकश्च |२|२|१२४|| गुरुनाम्यादे-र्णोः | ३|४|४८||
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