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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकारायनुक्रमः ।
कोऽश्मादेः |६|४|९७|
कौण्डिन्याग - च |६|४|९७|| कौपिञ्जलहास्तिप० ।६।३।१७१|| कौरव्यमाण्डूकासुरेः | २|४७० ||
कौशेयम् ।६।२|३९|| क्ङिति शिय् | ४ | ३ | १०५ ।।
क्तं नञादिभिन्नैः | ३|१|१०५ || क्तक्तवतू |५|१|१७४|| क्तयोः | ४|४|४०|| क्तयोरनुपसर्गस्य |४| ११९२ || क्तयोरसदाधारे |२|२|९१||
क्ताः | ३|१|१५१॥
a नाम्नि वा | २|४|२८|| क्तात्तमबादे-न्ते |७|३|५६|| क्तादल्पे | २|४|४५||
देशोऽषि |२| १|६१ || केटो गुरोर्व्यञ्जनात् | ५|३|१०६|| क्तेन | ३|१|९२||
नासत्त्वे | ३|१|७४। क्तेऽनिश्चजो: - ति | ४|१|१११||
क्त्वा | ४|३|२९ ॥
क्त्वातुमम् | १|१|३५ ।। क्त्वातुमम् भावे | ५ | १|१३|| क्नः पलितासितात् | २|४|३७||
क्यः शिति | ३ | ४ | ७०||
क्यङ् |३|४|२६||
क्यमानिपित्-ते | ३|२|५०|| क्यङ्क्षो नवा |३|३|४३||
क्यनि | ४ | ३ | ११२ |
क्य - ङाशीर्ये | ४|३|१०||
क्यो वा | ४ | ३ |८१ ॥
क्रमः |४| ४|५४||
क्रमः क्त्वि वा | ४|१|१०६ || क्रमो दीर्घः परस्मै | ४|२|१०९|| क्रमोऽनुपसर्गात् | ३ | ३|४७|| क्रय्यः क्रयार्थे | ४ | ३ |९१ ॥ क्रव्यात् क्रव्यादौ |५|१|१५१ ॥ क्रियातिपत्तिः - महि | ३ | ३|१६|| क्रियामध्येऽध्व-च | २|२|११०|| क्रियायां क्रियार्था० | ५|३|१३|| क्रियार्थी धातुः | ३ | ३|३|| क्रियाविशेषणात् | २|२|४१ ||
क्रियाव्यतिहा-र्थे |३|३|२३|| क्रियाश्रयस्या- - णम् | २|२|३०|| क्रियाहेतुः कारकम् | २|२|१|| क्रीडोऽकूजने | ३ | ३ | ३३ ॥ क्रीतात् करणादेः | २|४|४४|| क्रुत्संपदादिभ्यः क्विप् | ५|३|११४ ||
क्रुद्द्रुहे-पः | २|२|२७||
क्रुशस्तुन: - सि | १ | ४ | ९१ || क्रोशयोजन - मा | ६|४|८६|| क्रोष्टृशलङ्कोर्लुक् च | ६ | १|५६।।
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