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९३-९४ ]
षड्विंशः सर्गः
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भवन्ति भूतानि चितोऽप्यकस्मात्तेभ्योऽथ सा साम्प्रतमस्तु कस्मात् । स्वलक्षणं सम्भवितास्ति यस्मादनादिसिद्धं द्वयमेव तस्मात् ॥९३॥
'भवन्तीत्यादि - हे भगवन् ! प्रभो ! चितो बुद्धितो विलक्षणरूपातोऽकस्माद् भूतानि पृथिव्यादिकानि भवन्त्यपि किम् ? यथा ब्रह्मवादिभिर्निरूप्यते तथा किन्तु नैव भवितुमर्हन्ति । अथ पुनस्तेभ्यो भूतेभ्यश्चेतनता रहितेभ्यस्सात्यन्तविलक्षणा चिदपि कस्मादस्तु यथा बृहस्पति मार्गानुगामिभिर्गीयते । यस्मात्कारणात्पदार्थः स्वलक्षणं निजलक्षणानुसारं यथा स्यात्तथैव किल सम्भवितास्ति प्रभवितुमर्हति न चेतनोऽचेतनरूपेण न चाचेतनश्चेतनतयेति तस्माद् द्वयमेवानादिसिद्धमस्ति साम्प्रतं यद् दृश्यते ॥ ९३ ॥ भो गोमयाविह वृश्चिकाविचिच्छक्ति रायाति विभो अनादि । जनोऽप्युपादान विहीनवादी वह्नि च पश्यन्तरण प्रभावी || १४ ||
भो गोमयादावित्यादि भो विभो ! गोमयादावपीह वृश्चिकादिश्चिच्छक्तिश्चेतनात्मक आयाति सोऽप्यनादिरेवायाति । गोमयादितस्तु तस्याङ्गमेव यदचेतनं तदेव प्रभवति । योऽरणेः परस्परं वेणुसंघर्षाद् वह्नि पश्यन् किलोपदानाद्विहीनमपि जायतेऽत्रेति
अपेक्षा चेतन-अचेतनके प्रभेदसे दो प्रकारका कहा है। यह ठीक ही है कि विलोडन करनेसे पृथिवीपर गोरसके घो और तक्रके भेदसे दो भेद अवश्य हो जाते हैं ||१२||
अर्थ-चित्-बुद्धिसे अकस्मात् पृथिवी आदि भूत कैसे उत्पन्न हो सकते हैं ? और कचेतन भूतोंसे चित्की उत्पत्ति कैसे हो सकती है ? अर्थात् नहीं हो सकती । - इसका कारण यह है कि अपने लक्षणके अनुसार ही पदार्थका उत्पन्न होना सम्भव है | इससे सिद्ध है कि सत् के चेतन-अचेतन भेद अनादिसे सिद्ध है ।
भावार्थ - ब्रह्मवादी - वेदान्तियोंका यह कहना कि चेतन रूप ब्रह्मसे सबकी उत्पत्ति होती है और चार्वाकोंका यह कहना है कि पृथिवी आदि भेदोंसे चेतनकी उत्पत्ति होती है, दोनों मिथ्या है, क्योंकि चेतन-अचेतनका कारण नहीं हो सकता और अचेतन चेतनका कारण सम्भव नहीं है । इसलिये चेतन-अचेतन पदार्थोंकी उत्पत्ति अपने अपने उपादानसे होती है। ऐसा आपने कहा है ॥९३॥
अर्थ - हे प्रभो ! गोबर आदि अचेतन पदार्थों से बिच्छु आदि चेतन शक्तिको उत्पत्ति होती है, ऐसा जो कहते हैं उनका कहना वह ठीक नहीं है, क्योंकि चेतन शक्ति तो अनादि है, गोबर आदिसे मात्र उनका शरीर उत्पन्न होता है । इसी तरह अरणि नामक लकड़ीसे अग्निकी उत्पत्तिको देखकर जो यह कहता है कि उपादान के बिना भी कार्य की उत्पत्ति होती है, वह प्रमादी है, यथार्थवादी नहीं
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